अफगानिस्तान पर पूर्ण कब्जे के बाद तालिबान ने महिलाओं के अधिकार, विदेशों से संबंध और देशवासियों की सुरक्षा जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय जाहिर की है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का वादा किया है, लेकिन कहा है कि ऐसा इस्लामी कानून के मानदंडों के भीतर ही किया जाएगा। उन्होंने 1990 के तालिबान और वर्तमान के तालिबान के बीच अंतर को भी दुनिया को बताया है।
तालिबान बोला- हमने सभी को माफ किया : जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि तालिबान ने कहा कि हमने सभी को माफ कर दिया है और पूर्व सैन्य सदस्यों और विदेशी बलों के साथ काम करने वालों सहित किसी से भी बदला नहीं लेंगे। कोई उनके घर की तलाशी नहीं लेगा। युद्ध के दौरान दुर्घटनावश लोगों और परिवारों को नुकसान हुआ और यह जानबूझकर नहीं किया गया और अनियंत्रित स्थिति में हुआ। अगर ऐसा हुआ है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
पुराने और नए तालिबान में बताया अंतर : 1990 के तालिबान और आज के तालिबान के बीच मतभेदों के बारे में एक सवाल के जवाब में, मुजाहिद ने कहा कि विचारधारा और विश्वास समान हैं क्योंकि वे मुस्लिम हैं, लेकिन अनुभव के संदर्भ में एक बदलाव है – वे अधिक अनुभवी हैं और एक अलग दृष्टिकोण रखते हैं। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि हम एक ऐसी सरकार बनाना चाहते हैं जिसमें सभी पक्ष शामिल हों।
महिलाओं से कोई भेदभाव नहीं, नौकरी करेंगी : मुजाहिद ने महिलाओं को लेकर तालिबान के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे इस्लाम के आधार पर महिलाओं को उनके अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका कहना है कि महिलाएं स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में जहां जरूरत हो वहां काम कर सकती हैं। उनका कहना है कि महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
मीडिया को लेकर भी जारी किया बयान : तालिबान के पिछले शासन के दौरान महिलाओं के जीवन और अधिकारों पर कड़ी पाबंदियां देखी गई थीं। ऐसे में तालिबान प्रवक्ता के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है। मुजाहिद ने यह भी कहा कि तालिबान चाहता है कि निजी मीडिया स्वतंत्र रहे , लेकिन उन्होंने इस बात को विशेष तौर पर रेखांकित किया कि पत्रकारों को देश के मूल्यों के खिलाफ काम नहीं करना चाहिये।
अफगानिस्तान में आतंक बंद करने का भरोसा दिया : मुजाहिद ने इस बात पर भी जोर दिया कि अफगानिस्तान किसी दूसरे देश को निशाना बनाने के लिये अपनी जमीन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगा। साल 2020 में अमेरिका के साथ हुए समझौते में तालिबान ने इसका वादा भी किया था। इस समझौते के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ हो गया था।
चिंताओं को दूर करने की कोशिश में जुटा तालिबान : कई अफगानिस्तानियों को इस बात का डर है कि तालिबान के आने से देश में बर्बर शासन लौट आएगा, जैसा कि उसके पिछले शासन में देखा गया था। मुजाहिद ने अनेकों अफगानिस्तानियों और विदेशी नागरिकों की मुख्य चिंताओं को भी दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि महिलाओं को इस्लामी कानून के तहत अधिकार प्रदान किये जाएंगे।