स्पोर्ट्स एज भोपाल 23 जून 2022 बेंगलुरु रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला मुंबई और मध्य प्रदेश के बीच बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जा रहा है। मुंबई के कैप्टन पृथ्वी शॉ और मध्यप्रदेश के कैप्टन आदित्या श्रीवास्तव के बीच टॉस हुआ। टॉस जीतकर मुंबई टीम ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और पहले दिन का खेल खत्म होने तक 5 विकेट खोकर 248 रन बना लिए थे जबकि सरफराज 40 और मुलानी 12 रन बनाकर नाबाद थे । मध्यप्रदेश की तरफ से अनुभव और सारांश ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 2 2 विकेट लिए जबकि कार्तिकेय को 1 विकेट मिला। आज मध्यप्रदेश की टीम में पुनीत दाते के अनफिट होने के कारण पार्थ साहनी को टीम में रकहा गया है। पार्थ का भी घरेलू क्रिकेट में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा है।
मध्यप्रदेश टीम दूसरी बार फाइनल में पहुंची
रणजी ट्रॉफी के इतिहास में मध्य प्रदेश की टीम 88 सालों में दूसरी बार फाइनल में पहुंची है। टीम 23 साल के बाद खिताबी मुकाबला खेल रही है। उस वक्त चंद्रकांत पंडित मध्य प्रदेश के कप्तान थे और अब वे टीम के कोच हैं।
चंद्रकांत पंडित और मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन मात्र 2 साल पहले ही बने हैं कोच
चंद्रकांत पंडित 2 साल पहले ही टीम के कोच बने है। उनके कार्यकाल के पहले सत्र में मध्यप्रदेश की टीम लीग राउंड में ही बाहर हो गई थी। चंद्रकांत पंडित की सालाना सैलरी करीब 1.5 करोड़ रुपए है। उन्होंने मप्र टीम को दो साल से पूरी तरह तैयार कर दिया है।
रमाकांत आचरेकर से सीखी क्रिकेट की बारीकियां
चंद्रकांत ने क्रिकेट के बारें में कोच रमाकांत आचरेकर से ट्रेनिंग ली हैं। बतौर खिलाड़ी चंद्रकांत ने टीम इंडिया के लिए पांच टेस्ट और 36 वनडे मुकाबले खेले हैं। अपने कॅरियर में चंद्रकांत ने 171 टेस्ट और 290 वनडे रन बनाए हैं।
*चंद्रकांत ने अपनी टीम को रात 12 बजे भी प्रैक्टिस के लिए बुलाया
विश्वसनीय जानकारी के मुताबिक चंद्रकांत काफी अनुशासन प्रिय व्यक्ति है और खिलाडीयो में अनुशासन के प्रति हमेशा सचेत रहते है। इसलिए उन्होंने अपनी टीम को भी पूरा डिसिप्लिन में रखने की कोशिश की। वह अचानक रात को 12 बजे भी टीम को प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड पर बुला लेते है। अगर कोई खिलाड़ी ट्रेनिंग में लेट होता था तो उसे पूरा सेशन छोड़ना होता था।
चंद्रकांत ने टीम के लिए किया ‘भैया’ शब्द बैन
चंद्रकांत ने टीम में जूनियर-सीनियर कल्चर खत्म करने के लिए ‘भैया” शब्द को बैन कर दिया था। सब एक दूसरे को नाम से ही बुलाते थे, चाहे वो हो या फिर सीनियर। उनका कहना था कि अगर किसी की इज्जत करते हो तो दिल से करो,जबान से नहीं।