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November 23, 2024
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आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका पर एक और मुसीबत, राष्ट्रपति गोटबाया ने किया आपातकाल का ऐलान


गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आपातकाल का ऐलान किया है। यह आपातकाल शुक्रवार आधी रात से शुरू हो जाएगा। बताया जा रहा है कि देश के लगातार बिगड़ते हालात और राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए राष्ट्रपति ने आपातकाल का ऐलान किया है। श्रीलंका में जारी भीषण आर्थिक संकट के चलते महिंदा राजपक्षे सरकार लोगों के विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रही है। इस बीच राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है। कुछ दिन पहले ही गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से अपने भाई महिंदा राजपक्षे को हटाने की बात कही थी। तब कहा गया था कि श्रीलंका में एक कार्यवाहक सरकार का गठन किया जाएगा, जिसमें विपक्षी पार्टियों के नेता भी शामिल होंगे।
महिंदा राजपक्षे का इस्तीफा मांग रहा विपक्ष : श्रीलंका के सत्तारूढ़ गठबंधन के अन्य सदस्यों ने भी प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की ताकि सभी दलों के प्रतिनिधियों को मिलाकर अंतरिम सरकार बनाई जा सके। हालांकि, राजपक्षे लगातार सदन में बहुमत होने का दावा करते रहे हैं। इस बीच श्रीलंका में गुरुवार को संसद के उपाध्यक्ष पद के लिए गुप्त मतदान के जरिये हुए चुनाव में सरकार समर्थित उम्मीदवार को जीत मिली। इसे संकटग्रस्त राजपक्षे परिवार के लिए अहम जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
दिवालिया होने के कगार पर श्रीलंका : आजादी के बाद के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। इस कारण श्रीलंका ने अपने विदेशी ऋण (कर्ज) की अदायगी स्थगित कर दी है। उसे इस साल विदेशी ऋण के रूप में सात अरब डॉलर और 2026 तक 25 अरब डॉलर अदा करना है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार घट कर एक अरब डॉलर से भी कम रह गया है। ऐसे में श्रीलंका के पास इस साल भी विदेशी कर्ज चुकाने जितना पैसा नहीं बचा है।
राजपक्षे परिवार के खिलाफ लोगों का गुस्सा : श्रीलंका में सर्वशक्तिमान राजपक्षे परिवार के ऊपर लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और खेल मंत्री एक ही परिवार के लोग थे। ऐसे में श्रीलंका की आम जनता आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे परिवार को ही जिम्मेदार मान रही है। आर्थिक संकट गहराने और सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल पार्टियों के विरोध के बाद महिंदा राजपक्षे ने वित्तमंत्री बेसिल राजपक्षे को पद से जरूर हटा दिया था, लेकिन उनके कारनामों के कारण देश जरूर आर्थिक संकट में फंसा रह गया

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