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November 25, 2024
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मौसम वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी : जल्द ही इंसानों के बर्दाश्त की हद से आगे निकल जाएगी गर्मी

असहनीय गर्मी के कारण कई भारतीय और पाकिस्तानियों के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, बाहर काम करने के लिए उपलब्ध मूल्यवान घंटे कम हो जाते हैं। लैंसेट में प्रकाशित शोध के अनुसार, अत्यधिक तापमान और आर्द्रता के कारण 2018 में 150 अरब से अधिक कार्य घंटों का नुकसान हुआ। इस प्रवृत्ति के वैश्विक परिणाम होंगे। द द कन्वरसेशन के यूके एडीशन के एनवायरनमेंट और एनर्जी एडिटर जैक मार्ले ने यूसीएल में अर्थ सिस्टम साइंस के प्रोफेसर मार्क मास्लिन के हवाले से बताया कि दुनिया का आधा भोजन छोटे किसानों के खेतों में उगता है, जहां किसान कड़ी मेहनत करके फसल तैयार करते हैं। जैसे-जैसे दुनिया गर्म होगी, ऐसे दिन ज्यादा होते जाएंगे, जब बाहर काम करना शारीरिक रूप से असंभव होगा, जो उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को कम करेगा।
शहरी हरियाली के बढ़ने से लोगों को मिलेगी राहत : शहरों में, जहां वैश्विक आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है, अत्यधिक गर्मी के दौरान सड़कों को और अधिक आरामदायक बनाने के अवसर हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय में से एक, शहरी हरियाली को बढ़ाना है, जिससे आवास की तलाश में भटकते वन्य जीवों को भी काफी फायदा होगा। या कंक्रीट के फैलाव के बीच पेड़ों और अन्य वनस्पतियों के लिए अधिक जगह बनाई जाए। लेकिन कार्डिफ यूनिवर्सिटी के मार्क ओ. कथबर्ट के नेतृत्व में फरवरी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि विस्तारित पार्कलैंड के बीच हरियाली लगाने के साथ छतों और दीवारों को हरा भरा करने से या तो बाढ़ को कम किया जा सकता है या गर्मी को कम किया जा सकता है, लेकिन यह दोनों एक शहर में नहीं हो सकता।
शहरों में गर्मी में अत्याधिक गरम और बरसात में बाढ़ का खतरा : कथबर्ट और उनके सह-लेखकों, ऑस्ट्रेलिया में यूएनएसडब्ल्यू सिडनी के डेनिस ओ’कारोल और जर्मनी में कार्लज़ूए इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के गेब्रियल सी राउ के अनुसार, शहरों के गर्म मौसम में गर्म होने और भारी वर्षा के दौरान बाढ़ का कारण एक ही है। कंक्रीट और स्टील की प्रचुरता गर्मी को अवशोषित और बरकरार रखती है, जबकि वही सीलबंद सतहें ‘‘एक स्पंज की तरह काम नहीं कर सकती हैं कि बारिश को सोख लें और स्टोर कर लें, जैसे मिट्टी करती है, जिसकी जगह इन्होंने ले ली है’’।
भारत-पाकिस्तान के शहरों में हरियाली बढ़ाना सार्थक कदम होगा : शोधकर्ताओं का तर्क है कि उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में हरियाली वाले शहर – जैसे कि उत्तरी यूरोप और भूमध्य रेखा के आसपास – मजबूत हीटवेव को कमजोर कर सकते हैं क्योंकि पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल वाष्प छोड़ते हैं, जिसका शीतलन प्रभाव होता है। शोध दल को उम्मीद है कि शहरी हरियाली के लाभ सूखे क्षेत्रों में कम होंगे जहां धूप से भरपूर ऊर्जा होती है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के शहरों की तरह वर्षा अधिक सीमित होती है। लेकिन इन स्थानों में हरे भरे स्थानों का विस्तार करना अभी भी सार्थक है, क्योंकि यह वह जगह है जहाँ मिट्टी द्वारा जल प्रतिधारण की सबसे बड़ी संभावना है, जो बाढ़ को रोकने में मदद कर सकती है।
2030 तक 11 करोड़ की आबादी अत्याधिक सूखे का करेगी सामना : नवंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र के सबसे हालिया जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन सीओपी26 के दौरान प्रकाशित एक रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि अफ्रीका दुनिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है। केन्या में आगा खान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर अब्दु मोहिद्दीन का कहना है कि 2030 तक 11 करोड़ 80 लाख अत्यधिक गरीब लोग सूखे और भीषण गर्मी के विनाशकारी प्रभावों की गिरफ्त में होंगे। मोहिद्दीन का कहना है कि गर्म वातावरण के अनुकूल होने के लिए महाद्वीप को तत्काल वित्तीय और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है, साथ ही यह आकलन करने के लिए अनुसंधान निधि की आवश्यकता है कि कौन और कहाँ सबसे कमजोर है।

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