बुलिंग एक ऐसा शब्द है, जिसे हम और आप सभी ने कभी न कभी झेला है। आजकल देखने में आता है कि कुछ बच्चों को स्कूल, कॉलोनी, ट्यूशन आदि जगहों पर किसी अलग नाम से चिढ़ाया जाता है। कई बच्चे तो तुरंत दूसरे बच्चों द्वारा तंग किए जाने की रिपोर्ट टीचर या पैरेंट्स से कर देते हैं, लेकिन कुछ बच्चे चुपचाप इस सहते रहते हैं।
आज बच्चों को लेकर समाज में जिस समस्या को सबसे ज्यादा अनदेखा किया जाता है, वो है बुलिंग। बुलिंग, मानसिक और शारीरिक रूप से जानबूझकर अपमानित करने या नुकसान पहुंचाने के लिए बार-बार की जाने वाली कोशिश है। इसमें लात मारना, थप्पड़ मारना, धमकी देना, गालियां देना, लोगों को डराने के लिए ब्लैकमेल का सहारा लेना या कोई ऐसे कमेंट करना, जो किसी व्यक्ति के आत्मविश्वास को प्रभावित करे, शामिल हैं। अंग्रेजी में इसे बुलिंग यानी बदमाशी करना भी कहते हैं। हर बच्चा कभी न कभी अपनी लाइफ में बदमाशी का शिकार होता है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि प्यार और अपनापन चाहने वाले ज्यदातर बच्चे बुलिंग का शिकार होते हैं। जीवन में हर समय ऐसे लोग मिलते रहेंगे। पैरेंट्स को बुलिंग से बचने की बजाय बच्चों के मन से इसके डर को दूर करने पर काम करना चाहिए। यहां हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को बुलिंग से बचने या उसका सामना करने में मदद कर सकते हैं।
बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाएं : जिन लोगों ने बदमाशी देखी है या झेली है, वे बखूबी जानते होंगे कि ऐसे लोग हमेशा कमजोर लोगों को ही बुलिंग का शिकार बनाते हैं। इसलिए आपको अपने बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाना है। इससे बच्चे कुछ गलत होने पर उसे सहते नहीं हैं बल्कि उसका खुलकर विरोध करते हैं।
बच्चे के जीवन का हिस्सा बनें : पैरेंट्स को हमेशा बच्चों की लाइफ में दिलचस्पी दिखानी चाहिए। उन्हें उपेक्षित या अलग महसूस न कराएं, इससे वह आपसे दूर हो जाएंगे और इस तरह की किसी घटना होने पर आपसे शेयर भी नहीं करेंगे। ये सभी चीजें परिस्थिति को और जटिल बना सकती हैं, खासकर तब जब वे किसी बुलिंग का शिकार हो रहे हों।
बुलिंग क्या है – सिखाएं : बुलिंग को रोकने के लिए सबसे पहले अपने बच्चे को समझाएं कि ये होती क्या है। उन्हें सिखाएं कि बदमाशी का क्या मतलब है, यह खतरनाक क्यों है और लंबे समय तक यह उन्हें कैसे प्रभावित कर सकती है। उन्हें बताए कि अगर उनके साथ बदमाशी या बुलिंग की जा रही है तो यह उनकी गलती नहीं है और उन्हें इसके खिलाफ खड़े होने के लिए प्रोत्साहित करें।
अपनी बातें शेयर करने के लिए मोटिवेट करें : मुंबई में सीनियर मनोचिकित्सक डॉ देवेंद्र सवे भी माता-पिता को यही राय देते हैं कि हमें अपने बच्चों के लिए घर-परिवार में एक ऐसा एनवायरमेंट बनाकर रखना चाहिए, जहां बच्चे खुलकर अपने मन की बात कह सकें। बच्चे अक्सर डर के कारण पैरेंट्स से कोई बात शेयर नहीं कर पाते। जब तक वे आपसे बात शेयर करने में सहज महसूस नहीं करेंगे, तो वे आप पर विश्वास भी नहीं करेंगे। इसलिए हमेशा बच्चे को खुलकर बात कहने और धमकियों के आगे न झुकना सिखाएं।