: बांग्लादेश की एक स्थानीय अदालत ने 18 साल पहले ढाका विश्वविद्यालय के एक प्रसिद्ध लेखक व साहित्य के प्रोफेसर हुमायूं आजाद की हत्या के मामले में बुधवार को प्रतिबंधित इस्लामी समूह के चार आतंकवादियों को मौत की सजा सुनाई। ढाका के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोहम्मद अल मामून ने यह फैसला सुनाया। चार में से दो दोषी सजा के वक्त अदालत में मौजूद थे जबकि दो दोषी फरार हैं।
अदालत के अधिकारियों ने कहा कि न्यायाधीश ने पुलिस को भगोड़ों का पता लगाने का आदेश दिया। सभी दोषी प्रतिबंधित जमात-उल-मुजाहिदीन (जेएमबी) के सदस्य थे। प्रमुख लेखक व बंगाली साहित्य के प्रोफेसर हुमायूं आजाद को फरवरी 2004 में ढाका विश्वविद्यालय परिसर में उस समय चाकू मार दिया गया था जब वह एक पुस्तक मेले से घर जा रहे थे। आजाद का शुरू में ढाका के संयुक्त सैन्य अस्पताल (सीएमएच) में इलाज किया गया था, जहां उनकी स्थिति में सुधार हुआ।
कट्टरपंथी विचारों को चुनौती देने के चलते बनाया निशाना : कुछ समय बाद आजाद अकादमिक शोध कार्यों के साथ-साथ आगे के इलाज के लिए जर्मनी चले गए, लेकिन कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने कहा कि तीन युवकों ने उन पर हमला किया और दो बम विस्फोट करके भाग गए। जेएमबी और अन्य आतंकवादी व चरमपंथियों ने कट्टरपंथी विचारों को चुनौती देने वाले लेखन के कारण आजाद को निशाना बनाया था। हमले से कुछ दिन पहले, उन्होंने अपनी पुस्तक में 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता से पूर्व कुछ पाकिस्तानियों की भूमिका की आलोचना की थी।
पाकिस्तानियों की आलोचक थे आजाद : आजाद की पुस्तक ‘पाक सरजमीं शाद बाद’ 1971 में बांग्लादेश की आजादी से पहले पाकिस्तानियों और उनके बांग्लादेशी सहयोगियों की तीखी आलोचना की गई थी। ‘पाक सरजमीं शाद बाद’ पाकिस्तान के राष्ट्रगान की पहली पंक्ति भी है। बांग्लादेश कानून के तहत, मामले को अब अनिवार्य समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के उच्च न्यायालय के डिवीजन में भेजा जाएगा, जबकि दोषी प्रक्रिया के समाप्त होने का इंतजार करेंगे।
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