धरती की ओर बुर्ज खलीफा से भी बड़े आकार का ऐस्टरॉइड 94 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, यह ऐस्टरॉइड आज धरती के काफी करीब से गुजरेगा। पृथ्वी के लिए संभावित रूप से खतरनाक घोषित किया गया यह ऐस्टरॉइड दरअसल 1000 चट्टानों का एक समूह है। नासा ने इस ऐस्टरॉइड को 2016 AJ193 नाम दिया है।
94,208 किलोमीटर प्रति घंटा है स्पीड : नासा ने बताया कि “2016 AJ193 ऐस्टरॉइड 94,208 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है। इस गति से यह ऐस्टरॉइड के पृथ्वी के 3427903 किमी के दायरे में गुजरने की संभावना है। नासा ने इसे नियर-अर्थ ऐस्टरॉइड के रूप में वर्गीकृत किया है। यह ऐस्टराइड पिछले 65 साल में इस बार धरती के काफी नजदीक पहुंचा है।
ऐस्टरॉइड से धरती को कोई खतरा नहीं : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस ऐस्टरॉइड के ऑर्बिटल ट्रैक की भविष्यवाणी करते हुए कहा कि इससे धरती को कोई खतरा नहीं है। हालांकि, धरती से यह ऐस्टरॉइड नंगी आंखों से दिखाई नहीं देगा। खगोलविद अपने अध्ययन और शोध के लिए दूरबीनों का उपयोग करके इसका पता लगा सकेंगे। 2016 AJ193 लगभग 1.4 किमी चौड़ा और 4,500 फीट व्यास का है। क्षुद्रग्रह इतना विशाल है कि इसका आकार बुर्ज खलीफा का 1.5 गुना और एफिल टॉवर के आकार का 4.5 गुना है।
अमेरिकी टेलिस्कोप ने लगाया था पता : जनवरी 2016 में, इसे पैनोरमिक सर्वे टेलीस्कोप और रैपिड रिस्पांस सिस्टम (पैन-स्टारआरएस) फैसिलिटी ने सबसे पहले देखा था। यह अमेरिका में हवाई के हलीकला वेधशाला का हिस्सा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, 2016 AJ193 सूर्य की परिक्रमा करता है और पृथ्वी की कक्षा की ओर यात्रा करते समय यह बृहस्पति की दिशा में जाता है।
क्या होते हैं Asteroids? : ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।
22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की संभावना : नासा ने इस खतरनाक ऐस्टरॉइड की श्रेणी में रखा है। यह ऐस्टरॉइड हाल के दिनों में आने वाले 5 में से तीसरा है। अनुमान है कि यह ऐस्टरॉइड दुबई के बुर्ज खलीफा इमारत के आकार का हो सकता है। नासा इन दिनों दो हजार ऐस्टरॉइड पर नजर रखे हुए है जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।
ऐस्टरॉइड से धरती को कितना नुकसान? : पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होने के साथ ही आसमानी चट्टानें या ऐस्टरॉइड टूटकर जल जाती हैं और कभी-कभी उल्कापिंड की शक्ल में धरती से दिखाई देती हैं। ज्यादा बड़ा आकार होने पर यह धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन छोटे टुकड़ों से ज्यादा खतरा नहीं होता। वहीं, आमतौर पर ये सागरों में गिरते हैं क्योंकि धरती का ज्यादातर हिस्से पर पानी ही मौजूद है।
100 साल तक के ऐस्टरॉइड पर नासा की नजर : अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।
ऐस्टरॉइड अध्ययन के लिए कई मिशन जारी : नासा यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अलावा कई अन्य देशों की एजेंसियों के साथ अंतरिक्ष में एस्टरॉइड के गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। इन्हें अच्छे से समझने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मिशन भी चल रहे हैं। इनमें से ही एक यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का हेरा मिशन भी है जो दो एस्टरॉइड का अध्ययन करेगा।