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September 17, 2024
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7 अगस्त को ‘मंडल दिवस’, राजद करेगा शक्ति प्रदर्शन, पढ़ें सियासत की इनसाइड स्टोरी

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत ( Politics on Caste Census) थमने का नाम नहीं ले रही है. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इसको लेकर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को पत्र लिखकर कहा है कि उनको पीएम मोदी के बुलावे का इंतजार है. वहीं, राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अब जातीय जनगणना कराए जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्व में राजद जातीय जनगणना कराए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर 7 अगस्त को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी. सवाल यह है कि अब जब सीएम नीतीश कुमार ने यह कह दिया है कि बिहार का एक डेलिगेशन पीएम मोदी से इस सिलसिले में मुलाकात करने वाला है तो तेजस्वी यादव विरोध प्रदर्शन से क्या संदेश देना चाहते हैं?
दरअसल तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह (Former Prime Minister Vishwanath Pratap Singh) ने 7 अगस्त 1990 को संसद में मंडल की सिफारिशें लागू करने की घोषणा की थी. इसके तहत पूरे देश में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला हुआ था. उस दौर में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav), मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) जैसे नेताओं ने मंडल राजनीति के आधार पर अपने पक्ष में हवा बनाई थी और सत्ता-सियाकत पर पकड़ बनाकर अपनी ताकत दिखाई थी. राजनीतिक जानकारों की मानें तो एक बार फिर इसी वोट बैंक को फिर से भुनाने के लिए एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन शुरू हो रहा है.
बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर राजद का प्रदर्शन : बताया जा रहा है कि राजद 7 अगस्त को बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर आरजेडी के कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन करेंगे. इसमें जातीय जनगणना कराने, आरक्षित कोटे से बैकलॉग के लाखों रिक्त पद भरने और मंडल आयोग की शेष रिपोर्ट लागू करने की मांग होगी. राजद के महासचिव आलोक कुमार मेहता के अनुसार जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने के बाद जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा जाएगा. इसकी सूचना सभी सांसदों, विधायकों, सभी जिलाध्यक्षों और पार्टी के अन्य अधिकारियों को भेज दी गई है.
जाति जनगणना पर सीएम नीतीश ने पीएम मोदी को लिखा पत्र : बता दें कि राज्य में जातीय जनगणना के मामले को लेकर राज्य में सत्तारूढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल जनता दल युनाइटेड (JDU) भी राजद के साथ है. जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में हुई बैठक में इस संबंध का प्रस्ताव पास किया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जातीय जनगणना को लेकर पहले ही कह चुके हैं कि जातीय जनगणना आवश्यक है. सीएम नीतीश कुमार ने इसको लेकर प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है और कहा है कि पीएम मोदी के बुलावे का इंतजार है.
मंडल कमीशन ने जाति आधारित गिनती पर कही थी यह बात : बता दें कि सीएम नीतीश कई बार कह चुके हैं कि जाति के आधार पर जनगणना एक बार तो की ही जानी चाहिए, इससे सरकार को दलितों के अलावा अन्य गरीबों की पहचान करने और उनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाने में सुविधा होगी. गौरतलब है कि मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट के शुरू में ही कहा था कि जातियों के आंकड़े न होने की वजह से उसे काम करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, इसलिए अगली जनगणना में जातियों के आंकड़े भी जुटाए जाएं.
जातीय जनगणना पर लालू यादव और नीतीश कुमार साथ-साथ : लालू प्रसाद ने भी कहा है कि छह लाख परिवार इस देश में भीग मांग रहा है. उनसे पूछिए वे किस जाति के हैं. लालू कहते हैं कि जातीय जनगणना का विरोध करने वाले लोगों को कोई अक्ल नहीं है. बैक बेंचर के लिए अलग से बजट बनाइए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से इस मामले पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध किया है. बिहार राजग में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा भी जातीय जनगणना कराने की जदयू की मांग का समर्थन कर चुकी है.
केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना से कर दिया है इनकार : राजनीतिक जानकारों की मानें तो लालू प्रसाद के फिर से सक्रिय होने के साथ ही राजद एक बार फिर अपनी पुरानी राजनीति पर लौटता दिख रहा है. 7 अगस्त को मंडल दिवस के अवसर पर आरजेडी ने अब मंडल की राजनीति को धार दने की तैयारी कर ली है. इसकी वजह यह भी मानी जा रही है हाल में ही भाजपा नेता व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने स्पष्ट रूप से संसद में कहा था कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना नहीं करवाएगी.
सियासत के अंदरखाने की यह है कहानी : राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चूंकी लालू प्रसाद यादव की राजनीति भाजपा विरोध की रही है इसलिए आरजेडी इस मुद्दे पर भाजपा को चौतरफा घेरना चाहती है. इसके साथ ही लालू यादव सीएम नीतीश कुमार की राजनीति को भी कुंद करना चाहते हैं. इसका कारण यह माना जा रहा है कि बिहार में पिछड़े वर्ग से यादव छोड़ अन्य मुख्य जातियों का समर्थन सीएम नीतीश कुमार के साथ है. ऐसे में इसका अप्रत्यक्ष लाभ भाजपा को भी मिलता रहा है.
मंडल राजनीति और भाजपा विरोध की पॉलिटिक्स : राजनीतिक जानकारों की मानें तो पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी पिछड़े वर्ग से आते हैं. माना जा रहा है कि हाल के दिनों में पिछड़ों का वोट भाजपा की ओर बड़े पैमाने पर शिफ्ट हुआ है. ऐसे में लालू-नीतीश जैसे नेताओं के जनाधार को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में अब एक बार फिर मंडल राजनीति के आधार पर भाजपा विरोध की सुगबुगाहट है.
राजद नेता के बयान से समझें सियासत की हकीकत : यह बात बिहार के आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के इस बयान से भी स्पष्ट हो जाती है कि आरएसएस की सवर्णवादी सोच की वजह से भाजपा जातीय जनगणना नहीं कराना चाहती है. बता दें कि वर्ष 2015 में इसी राजनीति के कारण लालू-नीतीश एक साथ आए थे और मोदी लहर के बावजूद भाजपा को लालू-नीतीश ने मिलकर पिछड़ा विरोधी करार दे दिया था. अब जब केंद्र की मोदी सरकार ने मेडिकल कोटे में पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान कर दिया है तो आरजेडी-जेडीयू जैसी पार्टियों को फिर से खतरा महसूस होने लगा है. ऐसे में लालू यादव ने अब मंडल की राजनीति को धार दने की तैयारी कर ली है.

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