नई दिल्ली। प्रत्येक वर्ष 29 अगस्त को आयोजित होने वाला राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह इस साल देर से कराया जायेगा क्योंकि सरकार चाहती है कि चयन पैनल टोक्यो पैरालंपिक में भाग लेने वाले पैरा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को भी इनमें शामिल करे। पैरालंपिक खेलों का आयोजन टोक्यो में 24 अगस्त से पांच सितंबर तक होगा।
खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पुरस्कार विजेताओं को चुनने के लिये चयन पैनल गठित कर लिया गया है लेकिन चयन प्रक्रिया में आगे बढ़ने से पहले वे कुछ और समय इंतजार करना चाहेंगे। ठाकुर ने राष्ट्रीय युवा पुरस्कार समारोह के दौरान कहा, ‘‘इस साल के लिये राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समिति गठित कर दी गयी है लेकिन पैरालंपिक का आयोजन किया जाना है इसलिये हम पैरालंपिक के विजेताओं को भी इसमें शामिल करना चाहते हैं। मुझे उम्मीद है कि वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे।’’
राष्ट्रीय पुरस्कार – खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार और ध्यानचंद पुरस्कार – हर साल देश के राष्ट्रपति द्वारा 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर दिये जाते हैं जो महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती भी है। मंत्रालय के एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘‘पिछली बार की तरह इस साल भी पुरस्कार समारोह वर्चुअल कराये जा सकते हैं।’’
राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिये नामांकन प्रक्रिया दो बार बढ़ाये जाने के बाद पांच जुलाई को समाप्त हुई थी। महामारी को देखते हुए आवेदन करने वाले खिलाड़ियों को ऑनलाइन खुद ही नामांकित करने की अनुमति थी लेकिन राष्ट्रीय महासंघों ने भी अपने चुने हुए खिलाड़ी भेजे। भारतीय दल ने हाल में समाप्त हुए तोक्यो ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जिसमें देश के खिलाड़ियों ने एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य सहित कुल सात पदक जीते।
भारत टोक्यो में 54 पैरा एथलीटों का सबसे बड़ा दल भेज रहा है। पिछले पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ी दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य सहित चार पदक लेकर लौटे थे। देश के सबसे बड़े खेल सम्मान खेल रत्न को हाल में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया गया जो पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर था। पिछले वर्ष खेल पुरस्कारों की पुरस्कार राशि में काफी वृद्धि की गयी थी।
खेल रत्न में अब 25 लाख रूपये का पुरस्कार मिलता है जो पहले के साढ़े सात लाख से काफी ज्यादा है। अर्जुन पुरस्कार की पुरस्कार राशि पांच लाख से बढ़ाकर 15 लाख रूपये कर दी गयी। पहले द्रोणाचार्य (लाइफटाइम) पुरस्कार हासिल करने वालों को पांच लाख रूपये दिये जाते थे जिन्हें बढ़ाकर 15 लाख रूपये कर दिया गया। द्रोणाचार्य (नियमित) पुरस्कार हासिल करने वाले प्रत्येक कोच को पांच लाख के बजाय 10 लाख रूपये मिलते हैं।