अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का 92 साल की उम्र में श्रीनगर में बुधवार रात को निधन हो गया। उनके निधन पर कई नेताओं ने शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। कश्मीर में गिलानी की शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक आवाज पर कश्मीर बंद हो जाता था। हालांकि ऐसे भी मौके आए हैं जब कश्मीरी आवाम ने एक तरह से गिलानी का ही बॉयकॉट कर दिया था। भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर रहे गिलानी को पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा था। सैयद अली शाह गिलानी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
जब चुनाव की जगह गिलानी का बॉयकॉट किया कश्मीरी आवाम ने : सैयद अली शाह गिलानी ने साल 2014 के चुनावों का बॉयकॉट किया था। उन्होंने अपने संदेश में कश्मीर की जनता को कहा था कि चुनावों में भाग ना ले जिसके बाद आतंकियों ने ऐसे कई नागरिकों की हत्या की जो चुनावों में भाग ले रहे थे। हालांकि कश्मीर की जनता ने चुनाव की जगह गिलानी का बॉयकॉट किया क्योंकि इसके उलट राज्य में 65 फीसदी मतदान हुआ था। जम्मू-कश्मीर में 25 सालों बाद ऐसा हुआ था।
पाकिस्तान से फंडिंग का भी लगा था आरोप : हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी पर हाफिज सईद के साथ पैसों के लेनदेन का भी आरोप लगा था। गिलानी के करीबी लोगों से पूछताछ करने के बाद एक टीम ने गिलानी से भी पूछताछ की थी। उस समय गिलानी, शबीर शाह, यासीन मलिक, आसिया अंद्राबी समेत कई अलगाववादी नेताओं पर हाफिज सईद से पैसे लेकर आतंकवाद को बढ़ाने के सिलसिले में कार्रवाई की गई थी।
एक आवाज पर कश्मीर हो जाता था बंद : कश्मीर में सैयद अली शाह गिलानी के प्रभाव को आप कुछ ऐसे समझ सकते हैं कि उनकी एक आवाज पर कश्मीर बंद हो जाता था। अक्सर आतंकियों के मरने के बाद गिलानी की तरफ से बंद की कॉल दी जाती थी जिसके बाद कश्मीर बंद हो जाता था। अभी तक उनके कहने पर कई बार कश्मीर पूरी तरह से बंद हो चुका है।
तीन बार विधायक भी रहे : सैयद अली शाह गिलानी इस समय श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में रहते थे। वह मूल रूप से सोपोर जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म 29 सितंबर 1929 को हुआ था। उन्होंने कॉलेज तक पढ़ाई पाकिस्तान के लाहौर से की। वह तीन बार सोपोर से विधायक भी रहे थे।
भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर थे गिलानी : सैयद अली शाह गिलानी अपने भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर थे। दरअसल, वह कश्मीर को भारत का हिस्सा मानते ही नहीं थे। उन्होंने हमेशा कश्मीर को भारत से अलग करने की ही बात की। कश्मीर में लगने वाले भारत विरोधी नारों में भी उनकी भूमिका रहती थी। आतंकियों के हमदर्दी, पाकिस्तान के साथ प्रेम, पाकिस्तान से मिलते पैसे, कश्मीर को बंद करने जैसे कई मामलों से वह हमेशा सुर्खियों में रहे थे।