पाकिस्तानी सेना ने देश की राजनीति में बार-बार अपना नाम इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताते हुए चेतावनी दी है। सेना ने रविवार को अपने आलोचकों को चेतावनी देते हुए कहा कि वह देश की सेना पर कीचड़ उछालने से परहेज करें। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि उसका देश की राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेता, पत्रकार और विश्लेषक जान बूझकर देश में जारी राजनीतिक गतिरोध में पाकिस्तानी सेना का नाम बदनाम कर रहे हैं। पाकिस्तानी सेना ने इस तरह की बयानबाजियों को गैरकानूनी और अनैतिक बताते हुए कड़ा विरोध किया। बयान में सभी से कानून का पालन करने और सशस्त्र बलों को देश के सर्वोत्तम हित में राजनीतिक बयानबाजी से बाहर रखने की अपील की गई है।
राजनेताओं, पत्रकारों और विश्लेषकों पर भड़की पाक सेना : पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने एक बयान जारी कर कहा कि कुछ राजनीतिक नेता, पत्रकार और विश्लेषक जानबूझकर राजनीतिक बयानबाजी में सशस्त्र बलों और उसके वरिष्ठ नेतृत्व को शामिल करने के प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए ववे सार्वजनिक मंचों और सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। आईएसपीआर ने कहा कि ऐसे निराधार, मानहानिकारक और भड़काऊ बयानों या टिप्पणियों की यह प्रथा बेहद हानिकारक है।
पंजाब के गवर्नर की अपील के बाद आया सेना का बयान : हालांकि, पाकिस्तानी सेना ने यह नहीं बताया कि उनका यह बयान किस घटना के जवाब में दिया गया है। इसके बावजूद यह माना जा रहा है कि हाल में ही पंजाब के गवर्नर उमर सरफराज चीमा ने राज्य को संकट से बाहर निकालने के लिए सेना के हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि अगर उन्हें पांच बंदूकधारी सैनिक मिल जाते हैं तो वह राज्य के मुख्यमंत्री हमजा शहबाज को गिरफ्तार कर लेंगे। माना जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना का यह बयान गवर्नर की अपील के बाद आया है।
बाजवा को लिखा था पत्र, पंजाब में की थी सैन्य हस्तक्षेप की मांग : गुरुवार को पंजाब के राज्यपाल ने थल सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने सेना प्रमुख से वर्तमान अराजक समय में एक निर्णायक भूमिका निभाने का अनुरोध किया था। राज्यपाल की राय थी कि संवैधानिक संकट से ग्रस्त पंजाब को बंधक बना लिया गया है। ऐसे में सेना अपनी भूमिका अदा करे और राज्य को बाहर निकाले। दरअसल, लाहौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद नेशनल असेंबली स्पीकर ने पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री के तौर पर शहबाज शरीफ के बेटे हमजा शहबाज को शपथ दिलवाई थी। उसी दिन राज्यपाल उमर सरफराज चीमा ने पुराने मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार के इस्तीफे को नामंजूर करते हुए पुराने मंत्रिमंडल को बहार कर दिया था।
सेना ने सभी से कानून का पालन करने की अपील की : पाकिस्तानी सेना ने इस तरह की बयानबाजियों को गैरकानूनी और अनैतिक बताते हुए कड़ा विरोध किया और सभी से कानून का पालन करने और सशस्त्र बलों को देश के सर्वोत्तम हित में राजनीतिक बयानबाजी से बाहर रखने की अपील की। दरअसल, इमरान खान के अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद से पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता जारी है। कई सूबों में सरकारों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।