सत्ता से बेदखल होने के बाद भी पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। पिछले हफ्ते वह कई दिनों की चेतावनी के बाद लॉन्ग मार्च करते हुए इस्लामाबाद पहुंचे। शहबाज सरकार ने इमरान और उनके समर्थकों को रोकने की कोशिश की। अब इमरान खान के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने पिछले हफ्ते के प्रदर्शन के दौरान सरकार की ओर से हुईं ‘ज्यादतियों और मानवाधिकारों के उल्लंघन’ की ‘स्वतंत्र एवं निष्पक्ष’ जांच के लिए बुधवार को संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी।
पीटीआई ने यह असामान्य कदम तब उठाया है जब इमरान खान इस्लामाबाद पहुंचते ही शहबाज सरकार को चुनाव की तारीखें घोषित करने के लिए छह दिनों का अल्टीमेटम देखकर लौट गए थे। वहीं पाक पीएम शहबाज शरीफ ने आरोप लगाया था कि इमरान खान पर देश में ‘गृह युद्ध’ शुरू करना चाहते हैं। खान के समर्थकों ने 25 मई को इस्लामाबाद में सरकार को जल्द चुनाव की घोषणा करने के लिए मजबूर करने के लिए हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग का आरोप :पीटीआई कार्यकर्ताओं को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोलों तथा लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। पार्टी की वरिष्ठ नेता और खान की सरकार में मानवाधिकार मंत्री रहीं शिरीन मजारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग किया। उन्होंने आरोप लगाया कि शहबाज सरकार ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ ‘राजनीति से प्रेरित’ मामले भी शुरू किए।
मार्च से पहले पीटीआई के 100 कार्यकर्ता गिरफ्तार : उन्होंने ‘सरकार की इन ज्यादतियों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच’ की मांग की। मजारी ने संयुक्त राष्ट्र अधिकारी से ‘उठाए गए मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध किया है’। लॉन्ग मार्च से एक दिन पहले पीटीआई के 100 से अधिक कार्यकर्ताओं को, जल्दी चुनाव कराने की मांग को लेकर इस्लामाबाद तक एक नियोजित प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बाद में पुष्टि की थी कि गिरफ्तारी सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) सत्तारूढ़ गठबंधन के कहने पर की गई थी।