महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की एक बात से शुक्रवार को शिवसेना-बीजेपी के रूठे रिश्तों में एक बार फिर हल्का-हल्का सुरूर छा गया। मौका था मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम के स्मृतिदिन का। मंच पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के अलावा बीजेपी के केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे भी बैठे थे। जब मुख्यमंत्री बोलने के लिए खड़े हुए, तो उन्होंने मंच पर बैठे रावसाहेब दानवे को ‘मेरे भावी सहयोगी’ कहकर संबोधित किया।
बीजेपी नेता रावसाहेब दानवे को भावी सहयोगी कहे जाने के उद्धव के बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल हो गई है। कुछ लोग इसे शिवसेना और बीजेपी के फिर एक साथ आने का संकेत मानने लगे हैं।
‘कुछ भी संभव’ : उद्धव के इस बयान पर बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘राजनीति में कभी भी कुछ भी संभव है। मुख्यमंत्री को लगा होगा कि अनैसर्गिक गठबंधन की सरकार अब ज्यादा दिन नहीं टिक सकती, इसलिए उन्होंने मन की बात कही।’
‘जोक की आदत’ : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को ऐसे जोक करने की आदत है। बीजेपी इन दिनों तनाव में है, इसलिए बीजेपी के समाधान के लिए मुख्यमंत्री ने ऐसा बोल दिया होगा।’
‘हो सकता है…’ : एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने कहा, ‘हो सकता है कि चंद्रकांत पाटील और रावसाहेब दानवे बीजेपी छोड़कर शिवसेना में प्रवेश करने वाले हो! इसीलिए मुख्यमंत्री ने उन्हें भावी सहयोगी कहा हो।’
‘दबाव की चाहत’ : महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता विपक्ष प्रवीण दरेकर ने कहा, ‘एनसीपी-कांग्रेस का शिवसेना पर जबरदस्त दबाव है। इसलिए बीजेपी का दरवाजा शिवसेना के लिए खुला है, यह जताकर उद्धव अपने सभी सहयोगियों पर दबाव बनाना चाहते हैं।’