25.1 C
Madhya Pradesh
November 24, 2024
Pradesh Samwad
देश विदेश

रूस-यूक्रेन जंग में जो बाइडेन नहीं, पीएम मोदी साबित हो रहे हैं ‘वर्ल्‍ड लीडर,’ जानिए कैसे


इन दिनों भारत सरकार की विदेश नीति चर्चा का विषय बनी हुई है। चाहे वह रूस से तेल खरीदने का मसला हो या फिर यूक्रेन की जंग में रूस की निंदा न करना या फिर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों में उनका साथ न देना, विदेश नीति के जानकार मान रहे हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई तरह से साबित कर दिया है कि देश के स्‍वतंत्र विदेश नीति को अपनाने में सक्षम है। रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो यूक्रेन की जंग के बाद जहां अमेरिका, रूस और चीन जैसी महाशक्तियां भारत को उसके दुश्‍मनों पर रणनीतिक फायदा न मिलने देने की कोशिशों में लगी हुई हैं। लेकिन भारत और पीएम मोदी ने साबित कर दिया है कि यह वह पल है जो उन्‍हें ताकतवर साबित करने में मददगार साबित होने वाला है।
रक्षा विशेषज्ञ डेरेक ग्रॉसमैन कहते हैं कि भारत का एकमात्र लक्ष्‍य है कि वह एक ऐसे आत्‍मनिर्भर सुपरपावर देश के तौर पर सामने आ सके जिस पर किसी देश का कोई ज्‍यादा फर्क न पड़ सके। अब तो बात यहां तक आ गई है कि अमेरिका और फ्रांस जैसे देश सुरक्षा परिषद में भारत की स्‍थायी सदस्‍यता की वकालत तक करने लगे हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अमेरिका इस समय भारत का सबसे महत्‍वपूर्ण रणनीतिक साझीदार बन चुका है। दोनों देशों के रिश्‍तों ने हाल के दिनों में काफी तरक्‍की की है।
साल 2018 के बाद से भारत और अमेरिका और करीब आ गए हैं। दोनों देशों ने कई सालाना शिखर सम्‍मेलनों में हिस्‍सा लिया है तो कई अहम समझौते भी साइन किए गए हैं। क्‍वाड में दोनों ही देश साझीदार हैं और पिछले महीने जापान में क्‍वाड सम्‍मेलन में पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी मी‍टिंग थी। भारत हाल ही में अमेरिका की उस नीति का हिस्‍सा बना है जो हिंद-प्रशांत के आर्थिक स्थिति से जुड़ी है। इस नीति का मकसद इस क्षेत्र में आपसी सहयोग को एक औपचारिक संधि के रूप में आगे बढ़ाना है।
इस साल फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो भारत ने उस नीति को अपनाया जो उसके हितों के लिए फायदेमंद हो। भारत अपने सैन्‍य उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर हे ऐसे में रूस की निंदा ना करके भारत ने इससे दूरी बनाना ही बेहतर समझा। पहले तो मोदी सरकार की रणनीति ऐसा लग रहा था कि अमेरिका के साथ रिश्‍तों पर निर्भर करेगी। मार्च में बाइडेन ने कहा कि रूस को सजा देने वाला भारत का रुख कुछ हद तक अस्थिर है। अप्रैल में अमेरिका के उप- राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह भारत आए। यहां पर उन्‍होंने धमकाने वाले अंदाज में भारत से कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों को अनदेखा करने के गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। लेकिन अप्रैल के मध्‍य तक बाइडेन प्रशासन के सुर ही बदल गए।

Related posts

अमेरिकी महाबली प्लेन में 800 लोग! गेट खुला और घुस आए अफगानी.. तब क्रू ने किया बड़ा फैसला

Pradesh Samwad Team

इमरान खान दे रहे ‘हिंसा पर ज्ञान’

Pradesh Samwad Team

सीक्रेट बेस पर रिमोट से चलने वाले युद्धपोत का टेस्ट कर रहा चीन, US नेवल इंस्टीट्यूट के दावे से हड़कंप

Pradesh Samwad Team