रूस ने यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के 33वें दिन आधिकारिक तौर पर कीव (Russian Troopd in Kyiv) और चेर्निहाइव से सेना कम करने का ऐलान किया है। रूस के उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने कहा कि यह फैसला यूक्रेन के साथ बाचतीच (Russia Ukraine Peace Talks) का माहौल बनाने के लिए किया गया है। वहीं, यूक्रेनी अधिकारियों ने दावा किया है कि रूसी सैनिक अपने लक्ष्यों को पाने में नाकाम रहे हैं, इसलिए उन्हें सेना वापस बुलाने की जरूरत पड़ रही है। अब संभावना जताई जा रही है कि रूस जल्द ही यूक्रेन के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है। युद्ध के कारण दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में देश के आर्थिक हालात को सुधारने का दबाव रूस और यूक्रेन दोनों पर बढ़ता जा रहा है।
कीव और चेर्निहाइव में सैन्य गतिविधि कम करने का ऐलान : रूस की सरकारी मीडिया आरआईए के अनुसार, रूसी रक्षा मंत्रालय ने कीव और चेर्निहाइव में सैन्य गतिविधि को कम करने का फैसला किया है। मंत्रालय के टेलीग्राम चैनल पर भी बताया गया है कि रूस का इरादा यूक्रेन के शहरी क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को कम करने का है। रूसी उप रक्षा मंत्री फोमिन ने कहा कि तुर्की में जारी बातचीत में यूक्रेन ने तटस्थ रहने और परमाणु हथियार न बनाने का वादा किया है। इसी कारण हमने कीव के आसपास के इलाकों में सैन्य गतिविधियां कम करने का फैसला किया है।
यूक्रेन ने की रूसी सेना के वापसी की पुष्टि : उधर, यूक्रेन ने रूस के ऐलान के जमीनी हकीकत की पुष्टि कर दी है। यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि है रूसी सेना कीव के बाहरी इलाकों से पीछे हट रही है। देश की राजधानी के ऊपर उनके हमले भी पहले की अपेक्षा काफी कम हुए हैं। यूक्रेनी सेना ने मंगलवार को एक आधिकारिक फेसबुक अपडेट में कहा कि रूसी सेना अपने आक्रामक अभियान के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाई है। ऐसे में उनके सेना की कुछ इकाइयां शहर के बाहरी इलाके से पीछे हट रही है।
पुतिन का इरादा क्या है? : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जानते हैं कि यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा काफी खूनी होगा। ऐसे में रूस समर्थक देशों के बीच भी उनकी साख पर असर हो सकता है। सेना हटाने के ऐलान से पुतिन यह दिखाना चाहते हैं कि वे यूक्रेन के साथ शांति वार्ता को लेकर गंभीर हैं। दूसरी ओर, यूक्रेन में रूसी सेना की नाकामयाबी को भी इस ऐलान से छिपाया जा सकता है। 24 फरवरी को आक्रमण के ऐलान के बाद आशंका जताई गई थी कि 24 से 48 घंटे में कीव पर रूस का कब्जा हो जाएगा, लेकिन तगड़े प्रतिरोध के कारण 33 दिन बाद भी रूस को आपेक्षित सफलता नहीं मिली है।
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