भारत का सदाबहार दोस्त रूस इन दिनों पाकिस्तान के साथ युद्धाभ्यास कर रहा है। द्रुजबा-2021 (Druzhba-2021) नाम का यह युद्धाभ्यास रूस के क्रास्नोडार क्षेत्र में मोल्किनो रेंज में आयोजित किया गया है। इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तानी सेना की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के सैनिक कुछ दिन पहले ही मॉस्को पहुंची थी। यह युद्धाभ्यास 27 सितंबर को शुरू होकर 6 अक्टूबर तक चलेगा। पाकिस्तान और रूस के साथ आने से भारत की चिंता भी बढ़ गई है।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान : रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस युद्धाभ्यास को लेकर बाकायदा बयान भी जारी किया है। इसमें कहा गया है कि इस युद्धाभ्यास उद्देश्य द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को मजबूत और विकसित करना है। इतना ही नहीं, बयान में यह भी बताया गया है कि दोनों देशों के सैनिक कई तरह के मिलिट्री टास्क को भी पूरा करेंगे। इसमें एंटी टेररिज्म ऑपरेशन के साथ हथियारबंद समूहों को मार गिराना भी शामिल है। इस युद्धाभ्यास में रूस और पाकिस्तान के 100-100 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं।
2016 से संयुक्त युद्धाभ्यास कर रहे हैं रूस-पाकिस्तान : रूस और पाकिस्तान 2016 से संयुक्त अभ्यास – द्रुजबा का हर साल आयोजन करते हैं। रूस ने पहले कहा था कि भारत को पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए। रूस ने कहा था कि मॉस्को, इस्लामाबाद के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का एक सदस्य है।
इमरान ने पुतिन को दिया है पाकिस्तान यात्रा का निमंत्रण : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ दिनों पहले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की थी। अफगानिस्तान के हालात के नाम पर किए गए इस फोन कॉल में इमरान खान ने पुतिन को पाकिस्तान आने का न्यौता तक दे डाला। रूस ने कुछ महीने पहले ही कहा था कि उसने रूस के कासूर शहर से पाकिस्तान के कराची शहर तक पाइपलाइन बिछाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों के बढ़ने के कयास लगाए गए थे।
अप्रैल में 9 साल बाद पाकिस्तान पहुंचे थे रूसी विदेश मंत्री : इसी साल 6 अप्रैल को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 19 घंटे की भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। तब रूस की तरफ से बताया गया था कि इस यात्रा का उद्देश्य वार्षिक भारत-रूस सम्मेलन के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देना है। भारत यात्रा के बाद रूसी विदेश मंत्री पाकिस्तान के दौरे पर भी पहुंचे थे। भारत के साथ संबंधों को लेकर रूस शुरू से ही पाकिस्तान से किनारा करता रहा है। लेकिन, 2009 के बाद भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंधों के बनने से बेचैन रूस ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया। यही कारण है कि भारत के लाख विरोध के बावजूद रूसी सेना ने पाकिस्तान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास किया।
पाकिस्तान को विशेष सैन्य हथियार देगा रूस : रूसी विदेश मंत्री ने तब ऐलान किया था कि उनका देश पाकिस्तान को विशेष सैन्य हथियार मुहैया कराएगा। शीत युद्ध काल के इन दो विरोधियों के बीच आतंकवाद से लड़ने में सहयोग बढ़ाने और संयुक्त नौसैन्य एवं भूमि अभ्यास करने पर सहमति भी बनी। रूस ने हालांकि यह नहीं बताया था कि वह पाकिस्तान को कौन सा हथियार देगा। जाहिर है कि रूस की इसी बात से भारत चिंतित था।