यूक्रेन पर रूस के हमले से जापान पूरी तरह से अलर्ट हो गया है। जापान ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अपनाई गई अपनी रक्षात्मक रणनीति को छोड़ते हुए अब पहले हमला करने की ताकत जुटाना शुरू कर दिया है। यही नहीं जापान अपने रक्षा बजट को भी दोगुना करने की तैयारी कर रहा है। जापान को रूस और चीन दोनों के हमले का खतरा मंडरा रहा है। जापान यह तैयारी ऐसे समय पर कर रहा है जब पुतिन और शी जिनपिंग दोनों ही आक्रामक रुख को अपनाते हुए टोक्यो पर दबाव बनाए हुए हैं। यही नहीं क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान चीन और रूस ने अपने परमाणु बॉम्बर भेजकर जापान को डराने की कोशिश की थी।
जापान में फूमिओ किशिदा की सरकार ने साफ संकेत दे दिया है कि वह दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान की रक्षात्मक रणनीति को तिलांजलि दे रहा है। किशिदा ने अब देश की रक्षा नीति में आमूल-चूल बदलाव को तेज कर दिया है। यही वजह है कि जापान न केवल अपनी सेना पर खर्च को दोगुना करने जा रहा है, बल्कि ‘पहले हमला करने की ताकत’ को हासिल करने के करीब पहुंच गया है। किशिदा ने अपने कार्यकाल के पहले 8 महीने में विदेशी मोर्चे पर अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना किया है।
दुनिया की तीसरी बड़ी सैन्य ताकत बन जाएगा जापान! : दरअसल, रूस के यूक्रेन पर हमले से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह डर सताने लगा है कि चीन भी ताइवान पर हमले के लिए इसी तरह की रणनीति को अपना सकता है। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और ड्रैगन ने उसे मुख्य भूमि से मिलाने का प्रण किया है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान के संविधान के अनुच्छेद 9 को अमेरिकी सेना ने लिखा था। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि जापान युद्ध से दूर रहेगा और अंतरराष्ट्रीय विवादों का निपटारा करने के लिए ताकत के इस्तेमाल से परहेज करेगा।
उधर, गार्डियन की रिपोर्ट में एक एनजीओ के हवाले से दावा किया गया है कि जापान पर हमला हुए बिना ही दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने की ताकत हासिल करने का प्रयास संविधान का पूरी तरह से उल्लंघन होगा। यूक्रेन पर हमले के पहले ही जापान की सत्तारूढ़ पार्टी एलडीपी ने एक ज्यादा मजबूत रक्षा नीति पर फोकस शुरू कर दिया था। एलडीपी ने अगले 5 साल के लिए रक्षा पर खर्च को जीडीपी का 1 से 2 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया था। जापान दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। जापान अपनी जीडीपी का अगर 2 प्रतिशत अगर रक्षा पर खर्च करता है तो वह दुनिया की तीसरी बड़ी सैन्य ताकत बन जाएगा। जापान अभी रक्षा पर खर्च के मामले में 9वें नंबर पर है।
चीन ने जापान के सेनकाकू द्वीप समूह के पास बढ़ाई अपनी गतिविधि : जापान ने साल 2021 में 54.1 अरब डॉलर खर्च किया है जो अमेरिका के 801 अरब डॉलर और चीन के 291 अरब डॉलर से बहुत कम है। विश्लेषकों का मानना है कि जापान का रक्षा खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का 1 प्रतिशत करना क्षेत्रीय सुरक्षा और रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर उसकी बढ़ती चिंता को दर्शाता है। जापान में अब ज्यादा लोग इस बात पर जोर देते हैं कि रूस ने यूक्रेन में जो हमला किया है, उसकी पुनरावृत्ति एशिया में चीन की ओर से नहीं होनी चाहिए। यह तब हो रहा है जब चीन और उत्तर कोरिया अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ा रहे हैं, वहीं अमेरिकी ताकत में गिरावट आ रही है। जापान के प्रधानमंत्री ने चीनी सेना की गतिविधियों पर चिंता जताई है। चीन ने जापान के सेनकाकू द्वीप समूह के पास अपनी गतिविधि को बहुत बढ़ा दिया है।