मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुलायम सिंह यादव को ‘अब्बाजान’ कहने पर एसपी अध्यक्ष और मुलायम के बेटे अखिलेश यादव ने सीएम पर सीधा हमला बोला। अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री किसी और भाषा को जानते हैं। दरअसल योगी आदित्यनाथ ने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में राम मंदिर निर्माण को लेकर दिए बयान में मुलायम सिंह यादव को इशारों में अखिलेश का ‘अब्बाजान’ बताया था।
योगी पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा, ‘हमारा आपका झगड़ा मुद्दों को लेकर हो सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी भाषा पर संतुलन रखना चाहिए, वरना वह भी अपने पिताजी के लिए उसी तरह की भाषा सुनने के लिए तैयार रहें, जैसा वह मेरे पिताजी के लिए बोले हैं।’
‘प्रदेश में सबसे ज्यादा दलित, पिछड़े, मुस्लिम जेल में’ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा दलित, पिछड़े और मुसलमान जेल में हैं। पूर्व सीएम ने कहा, ‘2014, 2017 के चुनाव में बीजेपी ने अफवाहें फैलाकर और झूठ बोलकर लोगों को गुमराह किया है। बीजेपी ने सोशल मीडिया पर जमकर दुरुपयोग किया था। आज जब सोशल मीडिया की पहुंच गांव तक हो गई है, लोग सच बोल रहे हैं, तो बीजेपी घबराई हुई है।’
‘सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर पाई’ : अखिलेश यादव ने कहा, ‘किसानों ने अपनी कीमती जमीन दी है। अब वह लगातार आंदोलन कर रहा है। किसान सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है। पर हम किसानों के साथ है। आज सरकार ने किसानों की कमर तोड़ दी है। सरकार किसानों की जमीन कब्जाना चाहती है।’
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, ‘बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र से किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। वादे का क्या हुआ, आज तक जवाब नहीं आया। इसी तरह से बीजेपी ने हर जिले में दूध परक्योरमेंट वादा किया था। एसपी सरकार में अमूल के दो प्लांट लगवाए गए थे, लेकिन उसमें यूपी के किसानों का दूध नहीं लिया जा रहा है। बीजेपी सरकार ने डेयरी के क्षेत्र में कोई काम नहीं किया।’
‘अखिलेश को अब्बा शब्द से इतनी नफरत क्यों?’ : मुलायम सिंह यादव को अब्बा कहे जाने पर अखिलेश यादव की नाराजगी पर कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, ‘पिता के लिए कहे जाने वाले आदरसूचक संबोधन शब्द ‘अब्बा’ से आखिरकार सपा मुखिया को इतनी नफरत क्यों है। उनको इस शब्द से मिर्ची नहीं लगनी चाहिए। यह शब्द तो तहजीब का प्रतीक है।’ कैबिनेट मंत्री ने कहा है कि अखिलेश को अपने नजरिए और सोच को बदलने के साथ बातों को समझने और उनका सही अर्थ निकालने की जरूरत है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा, ‘बिना सोचे-समझे कुछ भी बोलने वालों के मुंह से भाषा में संतुलन की बात हजम नहीं होती है। ड्राइंग रूम में बैठकर ट्वीट करने वालों को अब भाषा में भी दोष नजर आने लगा है। बीजेपी की बढ़ती ताकत और जनाधार सपाइयों को रास नहीं आ रहा है। वे सब सहमे हुए हैं इसलिए आदरसूचक और सम्मानजनक शब्दों की पहचान करना भी भूल गए हैं।’