पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों अपने मुल्क पर कम और भारत पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने इस्लामाबाद में आयोजित मारगल्ला डायलॉग 21 में आरोप लगाया कि भारत की मोदी सरकार नस्लवादी है। इमरान खान ने यह भी कहा कि पश्चिमी देश आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की तो बुराई करते हैं, लेकिन कोई भी हिंदुस्तान की फासीवादी नीतियों पर कुछ नहीं बोलता।
‘इस्लाम को आतंकवाद के साथ जोड़ा गया’ : इस्लामोफोबिया पर बोलते हुए इमरान ने कहा कि कोई भी धर्म आतंकवाद की इजाजत नहीं देता है। इसके बावजूद कई देश धर्म को आतंकवाद के साथ जोड़ते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए का कि 9/11 हमले के बाद इस्लाम को आतंकवाद से सीधा जोड़ा गया, जो आज भी जारी है। उन्होंने भारत के ऊपर भी धर्म को लेकर झूठे आरोपों की झड़ी लगा दी।
भारत के खिलाफ झूठे आरोपों की लगाई झड़ी : इमरान खान ने कहा कि हिंदुस्तान जम्मू-कश्मीर में जो कर रहा है उसे डेमोक्रेसी कहा जाता है। कोई भी पश्चिमी देश इसकी आलोचना नहीं करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदुस्तान में जिस तरह की नस्लवादी सरकार आई है उसकी नीतियां फासीवादी हैं। उन्होंने हिंदुस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने का झूठा आरोप तक लगा दिया।
इमरान ने स्वीकारा- पाक की नीतियां फेल : इमरान खान ने खेद जताया कि पश्चिमी देश पश्चिमी देश आतंकवाद के खिलाफ जंग में पाकिस्तान को उसके बलिदान का श्रेय नहीं देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस लड़ाई में अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों का साथ देने को लेकर पाकिस्तान की बदनामी ही हुई। पाकिस्तान पर आरोप लगा कि वह डबल गेम खेल रहा है। उन्होंने खुलेआम स्वीकार किया कि पाकिस्तान अपना पक्ष प्रभावशाली तरीके से दुनिया के सामने रखने में नाकाम रहा है।
आतंक के खिलाफ युद्ध वाले रटे-रटाए डॉयलाग को दोहराया : इमरान खान आतंक के खिलाफ युद्ध में अपने देश के बलिदान वाले रटे रटाए डॉयलाग को बोलने से भी नहीं चूके। उन्होंने हर बार की तरह यहां भी दुखड़ा रोते हुए कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में सबसे ज्यादा नुकसान झेला है। अफगानिस्तान में भी युद्ध से पाकिस्तान को ही घाटा हुआ है। इमरान ने दावा किया कि इस युद्ध में पाकिस्तान के 80 हजार से अधिक लोग मारे गए, जबकि 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।