पाकिस्तान में न्यायपालिका पर सेना के प्रभाव को लेकर जारी विवाद में अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने शनिवार को इस बात से साफ इनकार किया कि पाकिस्तान की न्यायपालिका अन्य संस्थानों से प्रभावित हो रही है या उनसे निर्देश ले रही है। चीफ जस्टिस ने दावा किया कि पाकिस्तान की अदालतें अपना काम करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।
पकिस्तान के वरिष्ठ वकील ने लगाए थे आरोप : दरअसल, कुछ दिनों पहले लाहौर में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अली अहमद कुर्द ने पाकिस्तान की न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने अस्मा जहांगीर सम्मेलन में कहा था कि एक जनरल 220 मिलियन लोगों के देश पर हावी है। इसी जनरल ने न्यायपालिका को रैंकिंग में 126 वें नंबर पर भेज दिया है। अली अहमद कुर्द ने वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट के रूल ऑफ लॉ इंडेक्स 2021 का उल्लेख किया। इस लिस्ट में पाकिस्तान मौलिक अधिकारों की श्रेणी में 126 वें स्थान पर है।
चीफ जस्टिस बोले- हमारी अदालतें स्वतंत्र : इसी के जवाब में चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने कहा कि वह वरिष्ठ वकील अली अहमद कुर्द के दावे से बिलकुल भी सहमत नहीं हैं। उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया कि हमारी अदालतें स्वतंत्र नहीं हैं और हम किसी के या संस्थानों के दबाव में काम कर रहे हैं। पाकिस्तानी सीजेपी ने कहा कि कम से कम मुझे ऐसा कोई उदाहरण याद नहीं है।
‘किसी में मुझे कुछ कहने की हिम्मत नहीं’ : उन्होंने कहा कि मैंने किसी संस्था का दबाव नहीं लिया है और न ही किसी संस्था की सुनी है। कोई मुझे नहीं बताता या मुझे अपना फैसला लिखने के बारे में मार्गदर्शन नहीं करता है। मैंने कभी कोई ऐसा निर्णय नहीं लिया है जिसके लिए किसी और ने मुझसे ऐसा करने को कहा हो, न ही किसी की हिम्मत है मुझसे कुछ भी कहने की। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि किसी ने भी उनके काम में हस्तक्षेप नहीं किया है। मैंने अपने फैसलों में कभी भी किसी की बात सुनी, देखी, समझी या महसूस नहीं की है।
सीजेपी ने आरोप लगाने वाले वकील को सलाह दी : पाकिस्तानी चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरी अदालत लोगों को न्याय देती है। अली अहमद कुर्द आप अदालत में आईए और देखिए कि क्या हो रहा है। अदालत के फैसले को पढ़ें और देखें कि क्या हो रहा है। मेरे न्यायाधीश हर दिन निर्णय लिखते हैं, देखें कि हमारी अदालत कैसे काम कर रही है, स्वतंत्रता और कानून का पालन करना, संविधान को लागू करना हमारी जिम्मेदारी है।
चीफ जस्टिस बोले- गलतबयानी न करें, इससे लोगों का भरोसा उठता है : मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी विशिष्ट उदाहरण का हवाला दिए बिना इस तरह के सामान्यीकृत बयान देना गलत था। भले ही कोई गलती की गई हो, इसे अंत में सही किया जाता है। न्यायमूर्ति गुलजार ने कहा कि अदालतें यह तय करने के लिए स्वतंत्र हैं कि वे क्या करना चाहते हैं और नियमित रूप से करते हैं। कुर्द को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे बताएं कि आज तक किस मामले में फैसला सुनाया गया था। उन्होंने कुर्द को सलाह दी कि लोगों को गलत बातें न बताएं, जिससे कलह पैदा हो और संस्थानों से लोगों का भरोसा उठ जाए।