मध्यप्रदेश सरकार ने महू के डॉ. बी आर आम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में कथित कुप्रबंधन को लेकर शुक्रवार को विशेष प्रावधान लागू किया और संस्थान की कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला को उनका कार्यकाल पूरा होने से करीब दो साल पहले पद से हटा दिया।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने शुक्ला को कुलपति पद से हटाने के लिए ‘‘डॉ. बी आर आम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2015’’ की धारा 44 के तहत मिलीं शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए अधिसूचना जारी की।
उन्होंने बताया कि अधिनियम के इस प्रावधान को “विशेष परिस्थितियों में विश्वविद्यालय के बेहतर प्रशासन” के लिए लागू किया जाता है।
अधिकारियों ने बताया कि डॉ. बी आर आम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में कथित कुप्रबंधन और वित्तीय गड़बड़ियों की शिकायतों की जांच इंदौर संभाग के आयुक्त से कराई गई थी।
उधर, शुक्ला ने विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल में किसी तरह के कुप्रबंधन और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने दावा किया कि शुक्रवार को उच्च शिक्षा विभाग की अधिसूचना जारी होने से घंटों पहले वह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और राज्यपाल मंगू भाई पटेल को अपना इस्तीफा भेज चुकी थीं।
शुक्ला ने अपने इस्तीफे में लिखा कि वह विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर अपनी सेवाएं ‘‘निजी और पारिवारिक कारणों’’ से जारी नहीं रख सकेंगी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उनकी नियुक्ति 15 दिसंबर 2018 को हुई थी और उनका पांच साल का कार्यकाल आम तौर पर 14 दिसंबर 2023 को खत्म होता।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने संविधान निर्माता डॉ. बी आर आम्बेडकर की जन्मस्थली महू में वर्ष 2016 में यह विश्वविद्यालय स्थापित किया था और संस्थान की वेबसाइट पर इसे सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में देश का पहला विश्वविद्यालय बताया गया है।