के जी शर्मा वरिष्ठ क्रिकेटर और क्रिकेट समीक्षक स्पोर्ट्स एज भोपाल
‘‘हिम्मत और हौंसले बुलंद हैं, खड़ा हूॅं, अभी गिरा नहीं हूॅं, अभी जंग बाकी है और में हारा भी नहीं हूॅं।’’ यदि यह लाइनें मध्यप्रदेश रणजी टीम के कोच चंद्रकांत पंडित के लिये कही जायें तो बेहद सटीक दिखता है। उन्होंने जता दिया कि 1998-99 में फाइनल हारे जरूर थे लेकिन हिम्मत नहीं हारी थी, हौंसला नहीं छोड़ा था। पहले कप्तान के तौर पर फाइनल और अब कोच के तौर पर फाइनल, लेकिन इस बार चैम्पियन। जी हाॅं जिस मध्यप्रदेश की टीम को कमजोर टीमों में आंका जाता रहा था, इस बार उसी मध्यप्रदेश की टीम ने चंद्रकांत पंडित की कोचिंग में वो करके दिखा दिया जो इतिहास बन गया। भारत की घरेलू क्रिकेट की बादशाहत जिस टीम के पास हो उसी मुम्बई को बैंगलुरू में पराजित करके रणजी ट्राफी जीत कर मध्यप्रदेश की टीम ने भारतीय क्रिकेट में एक नया अध्याय लिख दिया।
निगाहों में मंजिल थी, गिरे और गिरकर संभलते रहे, हवाओं ने बहुत कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में जलते रहे।’’ मध्यप्रदेश के रणजी ट्राफी के सालों से चले आ रहे सफर के लिये यह लाइनें एकदम सटीक दिखाई देती हैं। बैंगलुरू में 22 जून 2022 को मध्यप्रदेश और मुम्बई के बीच रणजी ट्राफी 2021-22 सत्र का फाइनल मैच प्रारंभ हुआ और मुम्बई ने पहले बल्लेबाजी की तो हर कोई यही सोच रहा था कि मुम्बई बहुत सशक्त टीम है खासकर बल्लेबाजी में। लेकिन रजत पाटीदार के अलावा कोई बड़ा नाम न होने के बावजूद मध्यप्रदेश की टीम ने वो खेल दिखाया कि हर कोई हतप्रभ रह गया। पहले गौरव यादव व अनुभव अग्रवाल की अगुवाई में गेंदबाजों ने 374 पर मुम्बई को रोका और फिर यश दुबे, शुभम शर्मा और रजत पाटीदार के शतकों और निचले क्रम में सारांश जैन की पुछल्लों के साथ साहसिक अर्द्धशतकीय पारी ने 536 पर मध्यप्रदेश को खड़ा करके एक बेहद मजबूत 162 रन की लीड दिला दी। यह तो तय था कि अब पहली पारी में बढ़त के आधार पर मध्यप्रदेश मानसिक रूप से फाइनल में जीत की तरफ बढ़ चुका था। इस कारण दूसरी पारी में मुम्बई को कुछ अलग हटकर एग्रेसिव क्रिकेट खेलना लाज़िमी हो गया था क्योंकि 162 रन की लीड उतारकर बढ़त हासिल करना और मध्यप्रदेश को चैथी पारी में बैटिंग कराने के अलावा मुम्बई के पास विकल्प भी नहीं बचा था। पांचवे दिन मुम्बई ने पहले 11 ओवर में 66 रन की शानदार शुरूआत जरूर की लेकिन ज्यादा एग्रेसिव होने के प्रयासों के बीच विकेट भी गिरते चले गये और लंच के पहले ही मुम्बई 269 रनों पर आउट हो चुका था। नतीजा दूसरी पारी में भी गौरव यादव की अगुवाई में कार्तिकेय और पार्थ साहनी के आगे मुम्बई की टीम उलझ कर रह गई। यदि मैच में टर्निंग प्वाइंट की बात की जाये तो पहले गौरव यादव ने अरमान जाफर को क्लीन बोल्ड किया तो उसके बाद पार्थ साहनी ने सरफराज का विकेट लेकर मुम्बई की नैया में बड़ा सुराख बना दिया, जिसके बाद मुम्बई की पारी मध्यप्रदेश के जलजले में समाती चली गई। फाइनल मुकाबले में गौरव यादव ने 6 तो कार्तिकेय ने 5 विकेट लिये। गौरव यादव ने अपनी शानदार स्विंग से सभी को खासा प्रभावित भी किया खासकर पहली पारी में जिस तरह पृथ्वी शाॅ को उन्होंने लगातार परेशान किया वह अविश्वसनीय गेंदबाजी का उदाहरण था। पूरे सत्र में कार्तिकेय
हालाकि मध्यप्रदेश की दूसरी पारी में यश दुबे जल्दी आउट जरूर हुये मगर 108 रनों का लक्ष्य बहुत मुश्किल भी नहीं था जिसे आसानी से मध्यप्रदेश की टीम ने हासिल कर पहली बार मुम्बई को रणजी ट्राफी में सीधे आउट राइट पराजित करके चैम्पियन का खिताब हासिल कर लिया। मध्यप्रदेश के रणबांकुरों और नौनिहालों के लिये अब यही शुभकामनायें हैं कि ‘‘खोल दो पंख, अभी और उड़ान बाकी है, मेरी मंजिल यही जमीन ही नहीं है, अभी तो पूरा आसमान बाकी है।’’
‘‘चमक रहा है सितारा आज जमाने में मेरे नाम का, मिल गया है नतीजा मुझे मेरे काम का,, किसी चीज की जरूरत अब न रही मुझे, जबसे नशा चढ गया है सफलता के जाम का।’’ रणजी ट्राफी चैम्पियन बनने के साथ ही, मध्यप्रदेश में क्रिकेट के नये युग की शुरूआत के लिये कोच चंद्रकांत पंडित, मध्यप्रदेश की पूरी क्रिकेट टीम, विशेषकर शतकवीर बल्लेबाजों, गेंदबाजों, मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन और मध्यप्रदेश के सभी क्रिकेट प्रेमियों को बहुत बहुत बधाई।