देशभर में बिजली कटौती का खतरा बढ़ रहा है। कोयले की सप्लाई इसकी मुख्य वजह है। देश के बिजली घरों में कोयले की कमी का संकट कायम है। हालात बयां करने के लिए आंकड़े काफी हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 70 बिजली घरों में कोयले का चार दिन से कम स्टॉक है। एक सप्ताह पहले तीन अक्टूबर को ऐसे बिजली घरों की संख्या 64 थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि देशभर में बिजली की स्थिति ‘बेहद नाजुक’ है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बिजली विभाग की बैठक बुलाई। इसमें कई फैसले लिए गए।
ताजा सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कोयले के चार दिन से कम स्टॉक वाले बिजली घरों की संख्या रविवार को बढ़कर 70 हो गई। यह एक सप्ताह पहले तीन अक्टूबर को 64 थी। 1,65,000 मेगावाट से अधिक स्थापित क्षमता वाले कुल 135 संयंत्रों में से 70 बिजली घरों में 10 अक्टूबर 2021 को चार दिन से भी कम का कोयला बचा था। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) इन 135 बिजली घरों की निगरानी करता है।
आंकड़ों से यह भी पता चला कि सात दिनों से कम ईंधन वाले गैर-पिट हेड संयंत्रों (कोयला खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों) की संख्या भी रविवार को बढ़कर 26 हो गई, जो एक सप्ताह पहले तीन अक्टूबर को 25 थी।
सीईए की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला स्टॉक पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि सात दिनों से भी कम कोयला भंडार वाले बिजली संयंत्रों की संख्या बढ़कर 115 हो गई, जो इससे पिछले सप्ताह 107 थी।
राज्यों में मची हुई है खलबली : दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल सहित तमाम राज्यों में कोयले की किल्लत को लेकर खलबली दिखी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ कहा कि पूरे देश में बिजली की स्थिति ‘बेहद नाजुक’ है। वहीं, उनके कैबिनेट सहयोगी सत्येंद्र जैन ने दावा किया कि दिल्ली सरकार को महंगी गैस-आधारित और ज्यादा बाजार दर पर बिजली की खरीद करनी पड़ती है, क्योंकि एनटीपीसी ने शहर में बिजली की आपूर्ति आधी कर दी है।
वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने घर पर बिजली विभाग की बैठक बुलाई। इसमें यह फैसला लिया गया कि किसी भी हाल में शाम 6 बजे से सुबह 7 बजे कोई बिजली कटौती नहीं होगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कोयले की गंभीर किल्लत की बात स्वीकार की। वहीं, केरल सरकार ने बिजली कटौती पर 19 अक्टूबर को फैसला लेने को कहा है।
केजरीवाल बोले, हालात से निपटने के प्रयास जारी : केजरीवाल ने कहा कि बिजली संकट से निपटने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उनकी सरकार नहीं चाहती कि कोई भी ‘आपातकालीन स्थिति’ पैदा हो। उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘पूरे देश में स्थिति बहुत गंभीर है। कई मुख्यमंत्रियों ने इसके बारे में केंद्र सरकार को लिखा है। सभी मिलकर स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।’
इससे पहले दिन में बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्ली सरकार को महंगी गैस आधारित बिजली के साथ-साथ उच्च बाजार दर पर हाजिर खरीद पर निर्भर रहना पड़ता है। कारण है कि एनटीपीसी ने शहर में बिजली की 4,000 मेगावाट की सामान्य आपूर्ति को घटाकर आधा कर दिया है।
केंद्र सरकार के सूत्रों ने दावा किया कि एनटीपीसी के पास दिल्ली में बिजली की आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त कोयला है। उन्होंने यह भी कहा कि डिस्कॉम अपने दादरी पावर प्लांट से बिजली शेड्यूल कर सकती है।
केंद्र को माननी चाहिए कोयला संकट की बात : जैन ने दावा किया कि नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के ज्यादातर संयंत्र 50-55 फीसदी क्षमता पर चल रहे हैं। कारण है कि उनके कोयले का स्टॉक केवल एक-दो दिन का ही रह गया है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली अपनी ज्यादातर बिजली एनटीपीसी से खरीदती है, लेकिन आपूर्ति आधी कर दी गई है।
उन्होंने बताया, ‘4000 मेगावाट बिजली आपूर्ति करने वाली एनटीपीसी ने फिलहाल इसे आधा कर दिया है। इसने हमें गैस के माध्यम से बिजली बनाने की ओर अग्रसर किया है। इसकी लागत 17.25 रुपये प्रति यूनिट है।’ उन्होंने कहा कि दिल्ली में तीन गैस आधारित संयंत्र हैं। इनकी कुल क्षमता 1,900 मेगावाट है।
बिजली मंत्री ने कहा, ‘केंद्र ने सस्ती गैस का कोटा समाप्त कर दिया है। हमें इसे खरीदना है और उत्पादन लागत 17.50 रुपये है, जो दीर्घकालिक नहीं है। इतना ही नहीं, हमें संकट के कारण 20 रुपये प्रति यूनिट की उच्च दर पर बिजली खरीदनी पड़ेगी।’
जैन ने कहा कि केंद्र को कोयला संकट की बात माननी चाहिए और उसे इनकार की मुद्रा के बजाय समस्या से निपटना चाहिए। इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र को पत्र लिखा है। पंजाब भी बिजली कटौती का सामना कर रहा है।