अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले देश के 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली में लोकसभा की तीन और विधानसभा की 29 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं। हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में जहां भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया वहीं, असम और मध्य प्रदेश में अपने प्रमुख क्षत्रपों मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने-अपने राज्यों में हुए उपचुनावों में पार्टी को प्रभावी जीत दिलाई। हालांकि कर्नाटक में इन दोनों के समकक्ष बसवराज बोम्मई के लिए परिणाम मिश्रित रहे।
कुछ सदस्यों की मौत और कुछ के इस्तीफे से खाली हुई इन सभी सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान हुआ था। जिन सीटों पर उपचुनाव हुआ है, उनमें 9 सीटों पर कांग्रेस और आधा दर्जन सीटों पर भाजपा का कब्जा था। अन्य सीटें तृणमूल कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड), इंडियन नेशनल लोकदल सहित कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों के कब्जे में थीं।
तेल की कीमतें और महंगाई जैसे मुद्दे हावी रहे : यह उपचुनाव ऐसे समय हुए हैं जब पेट्रोल-डीजल की कीमतें नित नए रिकार्ड बना रही हैं और महंगाई आसमान छू रही है। इनके अलावा किसानों के आंदोलन, कोरोना महामारी के दुष्प्रभावों और देशभर में जारी कोविड-19 रोधी टीकाकरण सहित कई अन्य क्षेत्रीय और स्थानीय मुद्दे भी इन चुनावों में हावी रहे।
ममता के आगे भाजपाा की एक न चली : पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देकर लगातार तीसरी बार राज्य की सत्ता पर काबिज हुई तृणमूल कांग्रेस और उसकी मुखिया ममता बनर्जी के सामने पश्चिम बंगाल में भाजपा की एक नहीं चल रही है। राज्य में चार सीटों पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस को शानदार जीत हासिल हुई। वह भाजपा से दो सीटें छीनने में भी सफल रही, जिस पर पिछले विधानसभा चुनाव में उसे जीत हासिल हुई थी। तृणमूल कांग्रेस को इन उपचुनावों में 75 प्रतिशत से अधिक मत हासिल हुए।
हिमाचल से भाजपा को बड़ा झटका : हिमाचल प्रदेश में भाजपा को सबसे तगड़ा झटका लगा है, जहां कांग्रेस ने तीनों विधानसभा सीटों फतेहपुर, अर्की और जुबल-कोटखाई और मंडी लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। कांग्रेस ने अपनी फतेहपुर और अर्की सीटें बरकरार रखी जबकि जुबल-कोटखाई सीट भाजपा से छीनने में कामयाब हुई।
मंडी लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी और कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और करगिल युद्ध के अनुभवी सैनिक भाजपा प्रत्याशी कौशल ठाकुर को पराजित किया। मंडी लोकसभा सीट से भाजपा के राम स्वरूप शर्मा ने 2019 लोकसभा चुनाव में 4,05,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
कांग्रेस ने सेमीफाइनल जीत लिया? : हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ ने तो भाजपा की हार के बाद नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से इस्तीफा मांग लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ‘सेमीफाइनल’ जीत लिया है और अगले साल दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी जीत दर्ज करेगी।
हिमाचल में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रदर्शन की समीक्षा कर सकता है। वहां गुजरात के साथ ही अगले साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। पिछले दिनों पहले भाजपा ने गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन करते हुए राज्य की कमान विजय रूपाणी के हाथों से लेकर भूपेंद्र पटेल को सौंपी थी। ठाकुर ने प्रदेश में भाजपा की हार के पीछे महंगाई को कारण बताया है।
राजस्थान से भी भाजपा को निराशा : राजस्थान के नतीजे भी भाजपा की आकांक्षाओं के विपरीत आए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की छत्रछाया से बाहर निकलकर नए नेतृत्व पर विश्वास जताने की भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की उम्मीदों को इन नतीजों से झटका लगा है। खास बात यह है कि राजस्थान कांग्रेस में आंतरिक कलह खुलकर सामने आने के बाद भी भाजपा को इन चुनावों में शिकस्त झेलनी पड़ी है।
पार्टी ने इन चुनाव में न केवल एक सीट गंवाई बल्कि वह वल्लभनगर सीट पर तो चौथे स्थान पर खिसक गई। राज्य की वल्लभनगर (उदयपुर) व धरियावद (प्रतापगढ़) विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। धरियावद सीट पर भाजपा तीसरे स्थान पर रही। कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीनी है और साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में धरियावद सीट भाजपा के गौतम लाल मीणा ने जीती थी।
कर्नाटक के परिणाम भाजपा के लिए मिश्रित रहे। दो विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा ने सिन्डगी सीट पर जीत दर्ज की लेकिन हंगल में वह कांग्रेस से हार गयी।
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राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा में, केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में विधायक पद से इस्तीफा देने वाले इनेलो के नेता अभय चौटाला ऐलनाबाद सीट जीतने में सफल रहे। इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार पवन बेनीवाल और भाजपा-जजपा उम्मीदवार गोबिंद कांडा से था। गोबिंद कांडा हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख एवं विधायक गोपाल कांडा के भाई हैं।
भाजपा के दो ‘खिलाड़ियों’ ने बचा ली लाज! : पिछले विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सत्ता में फिर से लौटी भाजपा के लिए सबसे सुखद परिणाम असम से आए, जहां सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्व सरमा पर विश्वास जताते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी थी। असम के पांच विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में सभी सीटों पर भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन ने जीत हासिल की। भाजपा तीन सीटों पर विजयी रही तो दो विधानसभा सीटें उसकी सहयोगी यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के खाते में गईं।
मध्य प्रदेश में जहां गाहे-बगाहे शिवराज सिंह चौहान को बदलने की बात होती है, वहां पार्टी दो सीटें कांग्रेस से छीनने में सफल रही। हालांकि एक सीट उसे कांग्रेस के हाथों गंवानी पड़ी। यह चुनाव परिणाम चौहान को मजबूती देने वाले हैं।
दादरा और नगर हवेली लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को शिवसेना के हाथों करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। यह सीट पूर्व निर्दलीय सांसद मोहन डेलकर के निधन से रिक्त हुई थी। उनकी पत्नी कलाबेन डेलकर ने उपचुनाव में जीत हासिल की। शिवसेना के टिकट पर कलाबेन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के महेश गावित को पराजित किया।
बिहार में JDU का जलवा : बिहार में भाजपा चुनाव मैदान में नहीं थी लेकिन उसकी सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) दोनों उपचुनावों में जीत दर्ज करने में सफल रही। दोनों ही सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल को हार का सामना करना पड़ा।
विधानसभा उपचुनाव के तहत असम की पांच, पश्चिम बंगाल की चार, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मेघालय की तीन-तीन, बिहार, कर्नाटक और राजस्थान की दो-दो और आंध्र प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मिजोरम और तेलंगाना की एक-एक सीट के लिए मतदान हुआ था। इन 29 विधानसभा सीटों में से भाजपा के पास पहले करीब आधा दर्जन सीटें थीं, वहीं कांग्रेस के पास नौ सीटें और बाकी क्षेत्रीय पार्टियों के पास थीं।
दक्षिण से भाजपा के लिए शुभ समाचार : इन उपचुनावों में तेलंगाना से भाजपा के लिए सुखद परिणाम सामने आए। पार्टी के उम्मीदवार ई राजेंद्र को हुजूराबाद से शानदार जीत हासिल हुई। राजेंद्र राज्य की तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे। उन्होंने पिछले दिनों टीआरएस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था।