तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने कहा है कि वह स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को ऐलान किया कि अंकारा की आपत्तियों पर बात करने के लिए जल्द ही प्रतिनिधि तुर्की जाएंगे। इसपर एर्दोगन ने कहा कि डिप्लोमेट्स को तुर्की आने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘जो लोग तुर्की पर प्रतिबंध लगाते हैं, उनके नाटो में शामिल होने पर हम कभी हां नहीं कहेंगे।’ तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि स्वीडन या फिनलैंड, दोनों में किसी देश का आतंकी संगठनों के खिलाफ साफ स्टैंड नहीं है। उन्होंने स्वीडन को ‘आतंकियों का पालन गृह’ करार दिया। फिनलैंड के बाद, स्वीडन ने भी सोमवार को ऐलान किया कि वह नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) की सदस्यता के लिए अनुरोध करेगा। वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि उन्हें फिनलैंड और स्वीडन के आवेदनों से कोई दिक्कत नहीं है।
फिनलैंड और स्वीडन दोनों ही देशों में जनता की राय 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले से पहले NATO में शामिल होने के खिलाफ थी, लेकिन उसके बाद दोनों देशों में NATO सदस्यता के लिए समर्थन तेजी से बढ़ा है।
रूस के लिए झटका है स्वीडन का ऐलान : स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना ऐंडरसन का ऐलान इस मायने में अहम है कि यह नॉर्डिक देश (स्वीडन) 200 से अधिक वर्षों से किसी सैन्य गुट में शामिल नहीं था। उसके इस ताजा कदम को रूस के लिए झटका माना जा रहा है। इससे पहले यूरोप के एक और देश फिनलैंड ने भी रविवार को घोषणा की थी कि वह 30 देशों वाले सैन्य गठबंधन NATO में शामिल होने के लिए अनुरोध करेगा। सोमवार को स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने राजधानी में सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वीडन को औपचारिक सुरक्षा गारंटी की जरूरत है जो NATO में सदस्यता के साथ आती है।
पुतिन बोले दिक्कत नहीं, विदेश मंत्री के तेवर गरम : इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को कहा कि रूस को NATO की सदस्यता के लिए आवेदन करने वाले स्वीडन या फिनलैंड से कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि रूस को इससे सीधा खतरा नहीं है। हालांकि इन देशों में किसी भी सैन्य विस्तार पर उसकी प्रतिक्रिया आएगी। वहीं पुतिन के उलट रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि फिनलैंड और स्वीडन ने NATO सैन्य गठबंधन में शामिल होने के अपने इरादे को लेकर ‘गंभीर गलती की है’। आरटी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस ऐसी स्थिति को बर्दाश्त नहीं करेगा और ऐसा करने से यूरोपीय महाद्वीप में सैन्य तनाव का सामान्य स्तर बढ़ जाएगा।
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