पुनर्वास योजना के तहत नियंत्रण रेखा से लौटे कश्मीर के पूर्व आतंकवादियों की पाकिस्तानी पत्नियों ने अपनी मांग दोहराई कि उन्हें या तो भारत नागरिकता दी जाए या उन्हें निर्वासित किया जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से तुरंत दखल देने और 377 महिलाओं से जुड़े मानवीय संकट को हल करने की अपील की। गौरतलब है कि पाकिस्तान की 370 से ज्यादा महिलाओं ने साल 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में कश्मीरी पुरुषों से शादी की थी, जब वह हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने पड़ोसी मुल्क में गए थे।
ये महिलाएं 2010 और 2016 के बीच घाटी में आईं। उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में मिस्बा मुश्ताक ने कहा, ‘हम मोदी और अमित शाह से इस मुद्दे को हल करने की अपील करते हैं। पिछले कई वर्षों से हमारी बदतर हालत पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र और महिला अधिकार संगठन महिला हमारी दुर्दशा पर चुप हैं। कश्मीर जैसी जगह पर गुमनाम जिंदगी जीना मुश्किल ही नहीं, खतरनाक भी है।
उन्होंने कहा कि हैदरपोरा मुठभेड़ जैसी घटनाओं ने हमें अंदर तक हिलाकर रख गया है। अगर हमें या हमारे बच्चों को कुछ होता है, तो हमारे शवों पर दावा करने वाला भी कोई नहीं होगा। पिछले एक दशक में, इनमें से कुछ महिलाओं की मृत्यु हो गई है, आत्महत्या कर ली है। कुछ का तलाक भी हो गया है, जो अब अपने दम पर जीवित रहने का प्रबंध कर रही हैं, यहां कोई रिश्तेदार नहीं है। उत्तरी कश्मीर के बारामूला में रहने वाले नौरीन ने कहा, ‘मैंने तीन हफ्ते पहले अपनी मां को खो दिया था। मैं अंतिम समय में माता-पिता और अपने भाई-बहनों का चेहरा भी नहीं देख पाई।’