कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए सोमवार को कहा कि ब्रिटिश हुकूमत में भी चंपारण आंदोलन के समय किसानों को अपनी शिकायत के साथ अदालत में जाने का अधिकार था, लेकिन नए कृषि कानूनों में किसानों से अदालत जाने का मौलिक अधिकार छीन लिया गया है।
सिंह ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद के तहत यहां प्रदर्शन कर रहे किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ अंग्रेजी हुकूमत में भी जब चंपारण का आंदोलन गांधी जी कर रहे थे, तब भी किसानों को अदालत में जाने का अधिकार था लेकिन इन तीनों कानूनों में यदि कोई किसान का माल खरीदकर पैसा नहीं देता तो किसान अदालत में नहीं जा सकता है। एसडीएम साहब के पास जाओ, अदालत में नहीं जाना।’’ सिंह ने आगे कहा, ‘‘ मतलब आपने (सरकार) हमारा मौलिक अधिकार छीना है। इसलिए हम उसका (कृषि कानूनों) का विरोध करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा जिस घोषणापत्र के साथ सत्ता में आई, उसमें इन कृषि कानूनों का जिक्र नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके अलावा केंद्र सरकार ने किसान विरोधी कानूनों को लाने से पहले किसान संगठनों से इस बारे में बात नहीं की।
सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार एक साथ ही तीनों कानून ले आई क्योंकि कृषि उपज का कारोबार देश में 15 से 18 लाख करोड़ रुपये का है।
उन्होंने कहा कि मंडी व्यवस्था के तहत बड़े व्यापारी को संबंधित क्षेत्र में व्यापार करने के लिए किसी मंडी से लाइसेंस लेना होता है। सिंह ने कहा कि अब एक व्यापारी को देशभर में ऑनलाइन व्यापार करने के लिए एक लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है जिससे सरकारी मंडियों के बंद करने और निजी मंडियों के खुलने का द्वार खुल जाएगा।