17.3 C
Madhya Pradesh
November 22, 2024
Pradesh Samwad
लाइफ स्टाइल

दुल्हन हूं शर्माना कैसा?

कैसी दुल्हन है? बिल्कुल भी नहीं शरमा रही। देखो लोगों के सामने कैसे बेशर्मों की तरह हंस रही है। बहुत तेज होगी, जो शादी के समय में भी चुप होने का नाम नहीं ले रही। भले ही हम आज महिलाओं के हित में कितनी भी बात क्यों न कर लें, लेकिन शांत-शर्मीली जिसकी नजरें नीचें झुकी हों दुल्हन सबको वही भाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो दुल्हनें सबके सामने बहुत तेजी से हंसती है। बहुत तेजी से बोलती हैं या यूं कहें कि अपनी शादी के हर एक पल का खुलकर लुत्फ उठाती हैं, उन्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं समझा जाता है। हर कोई चाहता है कि शादी वाले दिन लड़की के चेहरे पर न केवल धीमी सी मुस्कुराहट हो बल्कि ससुराल वालों के सामने वह ज्यादा बात भी न करे।
हालांकि, यहां बात सही-गलत की नहीं है, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि जो लड़कियां अपनी शादी से जुड़े हर एक पल को अच्छे से एन्जॉय करती हैं, तो क्या वह संस्कारी नहीं होतीं। ऐसा कहा लिखा है कि दुल्हन होने से मतलब अपनी शादी की सभी रस्मों-रिवाजों में खामोश रहना है। वो जमाना बहुत पीछे छूट गया, जब दुल्हनें अपने ससुराल और पति के हिसाब से चलती थीं, लेकिन आज बात बराबरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि घर की इज्जत के नाम पर हमेशा औरतों का ही शोषण होता आया है, लेकिन अब लड़कियां भी अपने लिए स्टैंड ले रही हैं। दो दशक पहले की शादियों की एलबम उठाकर देखिए तब से अब तक आप समझ जाएंगे कि दुल्हनों की स्थिति में कितना बदलाव हुआ है।
दुल्हन हूं शर्माना कैसा? : अगर आप सोशल मीडिया यूजर हैं, तो पिछले कुछ समय में आपने देखा होगा कि रियल लाइफ ब्राइड्स अपनी जिंदादिली से सर्खियों में छाई हुई हैं। वह इस बात को समझ गई हैं कि अपनी शादी में शर्माना कैसा। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता लोग उनके बारे में क्या कह रहे हैं।
वह न केवल एक से बढ़कर एक पोज देती हैं बल्कि शादी में अपने डांस स्टेप्स से ससुराल वालों को भी चौंकाने का कोई मौका नहीं छोड़तीं। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब लड़कियां शादी का नाम सुनते ही लड़कियां रो पड़ती थीं, लेकिन अब उन्हें पता है कि अपने सबसे खास दिन को कैसे स्पेशल बनाना है।
रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ती दुल्हन : कोरोना काल के बाद बदले शादी के पैटर्न में ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं, जहां दुल्हनों ने सालों से चली आ रही रूढ़िवादी मानसिकता को भूलकर अपनी शादी में कुछ ऐसा किया, जो समाज को संदेश देता दिखा। अब चाहे इसमें घोड़ी पर बैठकर मंडप तक पहुंचना हो या खुद गाड़ी चलाकर विदा होना हो। पहले जहां डरी-सहमी, नजरें नीचे की हुई दुल्हन की एंट्री लेती थी, तो वहीं अब दुल्हनें स्वैग के साथ नाचते-गाते धासू एंट्री ले रही हैं।
बेटियों को पराया होने का एहसास नहीं : पहले के समय में बेटियों को रिश्ता पक्का होते ही उन्हें पराया धन बोल दिया जाता था। वहीं आज के समय में इस प्रथा बहुत सुधार देखने को मिला है। यही एक वजह भी है कि लड़कियां अपनी विदाई में अब पहले की तरह रोती नहीं है। वह जानती हैं कि शादी के बाद भी कुछ भी नहीं बदलने वाला है।

Related posts

प्यार और आकर्षण के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं, इन आसान तरीकों से समझें

Pradesh Samwad Team

मर्दों से जुड़ी वो 4 बातें, जिन्हें वह पत्नी के सामने कभी नहीं स्वीकारते

Pradesh Samwad Team

शादी के शुरूआती महीनों में हर पति-पत्नी करते हैं ये गलतियां, नवविवाहित जोड़े ध्यान दें!

Pradesh Samwad Team