अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अब विरोध की भी आवाजें तेज हो गई हैं। कंधार, असादाबाद, जलालाबाद सहित कई शहरों में इस खूंखार आतंकी संगठन के खिलाफ आम लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। कई जगह तालिबान लड़ाकों ने भीड़ को खदेड़ने के लिए फायरिंग भी की है। इसके बावजूद भी लोग डरे नहीं हैं और हर दिन किसी न किसी शहर में अपने राष्ट्रीय झंडे को फहरा रहे हैं। बड़ी बात यह है कि इन विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की भागीदारी देखी जा रही है।
तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन में लड़कियां भी शामिल : ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन में शामिल अफगान लड़की क्रिस्टल बायत ने पूरी दुनिया के सामने अपनी बात रखी है। क्रिस्टल बायत उन सात महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने अफगानिस्तान में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित तालिबान विरोधी प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगान झंडे को फहराना विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बन गया है। तालिबान भी इसे विद्रोह की तरह देख रहा है।
‘मेरे सारे सपने मर गए’ : क्रिस्टल बायत ने तालिबान के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कहा कि कहा कि मैं पिछले 19 साल से पढ़ रही हूं और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयास कर रही हूं। लेकिन, आज दुर्भाग्य से मेरे सारे सपने मर गए। बहुत सारी महिलाएं आवाज उठाना चाहती थीं, फिर भी उन्हें डर है कि वे घर से बाहर नहीं आ सकतीं। मैं लाखों महिलाओं की आवाज उठा रहा हूं। हमारा झंडा ही हमारी पहचान है। एक महिला एक पुरुष की तरह बहादुर हो सकती है। बीस साल, और हमारे समाज में बहुत सारे बदलाव हुए हैं और वे हमसे यह सब वापस ले रहे हैं।
20 दिनों की आजादी का किया उपयोग : उन्होंने कहा कि मैंने अपने पूरे जीवन में तालिबान को नहीं देखा है। यह मेरा पहला मौका था जब मेरा सामना किसी तालिबान से हुआ। हर तालिबान लड़ाका कह रहा था कि सिर्फ 20 दिन के लिए तुम लोग आजाद हो। इसलिए मैं बस इस 20 दिनों का उपयोग करना चाहती थी और मैंने अपनी आवाज उठाई भी।
‘मैं तालिबान से नहीं डरती’ : क्रिस्टल ने कहा कि अब हर कोई डरा हुआ है और कोई भी तालिबान के बारे में कुछ भी बुरा नहीं कह रहा है। लेकिन, मैं इससे नहीं डरती हूं। अगर वे मुझे गोली मार देंगे, तो जब तक वे गोली मारेंगे, मैं प्रयास करूंगी और मैं अपने लक्ष्य की तलाश करूंगी। मैं उन्हें मेरे मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं करने दूंगी।