अफगानिस्तान में लगातार मजबूत हो रहे तालिबान के हाथ बड़ी सफलता लगी है। तालिबान लड़ाकों ने शुक्रवार को दक्षिणी निरमोज प्रांत की राजधानी जरांज पर कब्जा जमा लिया है। वहीं, काबुल में तालिबान के हमलावरों ने अफगान सरकार के वरिष्ठ प्रवक्ता की गोली मारकर हत्या कर दी। इससे अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार को एक दिन में दो बड़े झटके लगे हैं। तालिबान ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यह शुरुआत है और देखें कि अन्य प्रांत बहुत जल्द हमारे हाथ में कैसे आते हैं।
निमरोज के पुलिस प्रवक्ता से सरकार पर फोड़ा ठीकरा : दक्षिणी निमरोज प्रांत के एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि राजधानी जरांज सरकार की ओर से सुदृढीकरण की कमी के कारण कट्टर इस्लामवादियों के हाथों में आ गई है। बताया जा रहा है कि फरवरी 2020 में तालिबान के साथ अमेरिका के समझौते के बाद जरंज पहली ऐसी प्रांतीय राजधानी है, जिसपर से सरकार का नियंत्रण खत्म हो चुका है। अफगान के लड़ाकों ने हेरात और कंधार प्रांत के राजधानियों को भी घेरा हुआ है।
तालिबान ने बताया निमरोज पर कब्जे का महत्व : एक स्थानीय सूत्र ने कहा कि तालिबान ने गवर्नर के कार्यालय, पुलिस मुख्यालय और ईरानी सीमा के पास एक शिविर पर कब्जा कर लिया है। तालिबान के लड़ाके इस कब्जे के बाद जश्न मनाते देखे गए हैं। जरांज पर तालिबान के कब्जे के बाद उसके लड़ाकों का मनोबल और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है। तालिबान के एक कमांडर ने कहा कि जरांज का सामरिक महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि इसकी सीमा ईरान के साथ सटी हुई है।
अफगान सरकार को एक दिन में दो झटके : काबुल में, तालिबान हमलावरों ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को कमजोर करने के उद्देश्य से सरकारी अधिकारियों की हत्या करना भी शुरू कर दिया है। शुक्रवार को ही तालिबान के लड़ाकों ने काबुल में सरकारी मीडिया और सूचना केंद्र के प्रमुख दावा खान मेनापाल की हत्या कर दी। वहीं, अफगानिस्तान के संघीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मेनापाल को जुमे की नमाज के दौरान ‘जंगली’ आतंकवादियों ने मार दिया।
अफगान प्रवक्ता की हत्या पर अमेरिका ने दुख जताया : उनकी हत्या के बाद यूएस चार्ज डी’अफेयर्स रॉस विल्सन ने कहा कि वह मेनापाल की मौत से दुखी और निराश हैं। उन्होंने मेनपाल को एक सच्चा दोस्त बताया जो सभी अफगानियों को सच्ची जानकारी प्रदान करता था। उन्होंने कहा कि ये हत्याएं अफगानों के मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अपमान हैं। पिछले कुछ महीनों में तालिबान ने असंतोष की आवाज दबाने के लिए उदार इस्लामी प्रशासन को बनाए रखने के लिए लड़ने वाले करोड़ों सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, नौकरशाहों, न्यायाधीशों और सार्वजनिक हस्तियों की हत्याएं की हैं।
अब्दुल रशीद दोस्तम की मिलिशिया का कमांडर मारा गया : उधर तालिबान के साथ जारी युद्ध में अफगान सेना और अब्दुल रशीद दोस्तम की मिलिशिया को भी नुकसान उठाना पड़ा है। उत्तरी प्रांत जोज्जान में तालिबान के साथ झड़प में कम से कम 10 अफगान सैनिक और दोस्तम की मिलिशिया समूह से संबंधित एक कमांडर की मौत हो गई। जोवजान प्रांत के डिप्टी गवर्नर अब्दुल कादर मालिया ने कहा, कि तालिबान ने इस हफ्ते (प्रांतीय राजधानी) शेबरघन के बाहरी इलाके में हिंसक हमले किए और भारी झड़पों के दौरान दोस्तम के प्रति वफादार सरकार समर्थक मिलिशिया बलों का कमांडर मारा गया।