आपराधिक प्रवृत्ति वाले छात्रों को कॉलेज में एडमिशन ना देने के आदेश पर विवाद खड़ा हो गया. विवाद के बाद उच्च शिक्षा विभाग को अपने विवादित आदेश को वापस लेना पड़ा. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कमिश्नर को आदेश को वापस लेने के निर्देश दिए हैं. उच्च शिक्षा मंत्री का कहना है कि केवल मामलों के पंजीबद्ध होने से प्रवेश न देने से छात्रों के साथ अन्याय होगा. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कमिश्नर को विवादित आदेश को वापस लेने का निर्देश दिए हैं.
उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का कहना है कि आपराधिक प्रकरण वाले छात्रों को प्रवेश न देने का आदेश तुरंत वापस लिया जाए. किसी भी छात्र पर अगर कोई प्रकरण पंजीबद्ध है तो उसे कॉलेजों में प्रवेश देने से नहीं रोका जाएगा. सभी छात्रों को सामान्य रूप से प्रवेश दिया जाएगा. केवल मामले दर्ज होने से प्रवेश ना देना छात्रों के साथ अन्याय होगा.
न्यायालय में गुण दोष के आधार पर तय होती है सजा
उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का कहना है कि न्यायालय में गुण-दोष के आधार पर सजा तय होती है. लोकतंत्र में छात्र नेताओं पर लोक हितैषी मुद्दों के आंदोलन होने पर प्रकरण दर्ज होते रहते हैं, केवल आपराधिक प्रकरण दर्ज होने से छात्रों को दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता है. किसी भी विद्यार्थी का प्रवेश रोकना गलत होगा. जब आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद भी लोकसभा और विधानसभा के प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता तो छात्र-छात्राओं का प्रवेश कैसे रोका जा सकता है.
आपराधिक प्रकरण वाले छात्रों को प्रवेश न देने का निकला था आदेश
उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में प्रवेश को लेकर एक आदेश जारी किया था. आदेश में कहा गया था कि जिन भी छात्रों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज है, उन छात्रों को किसी भी विश्वविद्यालय और कॉलेज में एडमिशन नहीं दिया जाएगा. छात्रों को शपथ पत्र पर लिखा देना होगा कि किसी भी राज्य में उनके ऊपर आपराधिक मामले दर्ज नहीं है. प्रदेश भर में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया चल रही है. आदेश के जारी होने की साथ ही विवाद बढ़ने पर उच्च शिक्षा मंत्री ने आदेश को वापस लेने के तत्काल निर्देश दिए हैं.