भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर असहज शांति बनी हुई है। सीमा से सैनिकों को हटाने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है। इसके बाद भी दोनों देशों की सेनाएं कई जगहों पर आमने-सामने डटी हुई हैं। इस बीच चीन ने भारत के साथ बातचीत की आड़ में सीमा पर 100 से ज्यादा अडवांस रॉकेट लॉन्चर की तैनाती की है। इतना ही नहीं, चीनी सेना ने एलएसी के नजदीक 155 एमएम कैलिबर की PCL-181 सेल्फ प्रोपेल्ड हॉवित्जर को भी तैनात किया हुआ है।
सर्दियों से पहले सैन्य तैनाती बढ़ा रहा चीन : साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में चीनी सेना के करीबी सूत्र के हवाले से बताया है कि चीन ने भारत के साथ अपनी हाई एल्टिट्यूड वाली सीमा पर 100 से अधिक अडवांस लॉन्ग रेंज रॉकेट लॉन्चर्स को तैनात किया है। सूत्र ने कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी हिमालय की खून जमा देने वाली सर्दियों की तैयारियां कर रही है। यह तैनाती M777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर के साथ भारतीय सेना की तीन रेजिमेंटों की तैनाती के जवाब में बचाव में की गई है।
चीन ने तैनात की PHL-03 रॉकेट लॉन्चर : चीन ने एलएसी पर PHL-03 लॉन्ग-रेंज मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को तैनात किया है। चीनी मीडिया सीसीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, नए PHL-03 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर्स की 10 यूनिट को लद्दाख के नजदीक तैनाती की गई है। इसके प्रत्येक यूनिट में चार क्रू मेंबर शामिल हैं। इसमें 300 एमएम के 12 लॉन्चर ट्यूब लगे हुए हैं। इसके रॉकेट 650 किलोमीटर की दूरी तक हमला करने में सक्षम हैं। इसके 12 मीटर लंबे रॉकेट 60 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भरते हैं।
Type PCL-191 रॉकेट लॉन्चर भी तैनात : चीन ने भारतीय सीमा पर टाइप पीसीएल-191 रॉकेट लॉन्चर को भी तैनात किया है। इसे चीन के एआर 3 सिस्टम के आधार पर विकसित किया गया है। चीन के टाइप पीसीएल-191 को मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) 1 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रीय दिवस परेड में प्रदर्शित किया गया था। इस रॉकेट सिस्टम की रेंज 350 किलोमीटर बताई जा रही है। यह मॉड्यूलर रॉकेट सिस्टम आठ 370 मिमी के रॉकेट को फायर कर सकता है।
भारत जब कोरोना वायरस के भीषण कहर से जूझ रहा था, तब चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की वेस्टर्न थिएटर कमांड को पुनर्गठित किया। जिसमें भारत से जुड़ी सीमा की सुरक्षा में तैनात शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट को नए लड़ाकू विमान, तोप, टैंक, रॉकेट सिस्टम जैसे घातक हथियारों से लैस किया गया। परंपरागत रूप से ताइवान के साथ तनाव की तुलना में चीन इस क्षेत्र को ज्यादा अहमियत नहीं देता था, लेकिन अब परिस्थितियां तेजी से बदली हैं। गलवान सैन्य संघर्ष के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने शिनजियांग सैन्य जिले को तेजी से अपग्रेड किया है। इतना ही नहीं, चीन ने इस इलाके में सेना की कमान संभालने वाले कमांडर को भी बदल दिया है। अब चीनी सेना के सबसे खूंखार मानी जाने वाली एलीट 13वीं ग्रुप आर्मी के कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल वांग काई को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस एलीट फोर्स को टाइगर्स इन द माउंटेंस के नाम से जाना जाता है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में लड़ाई करने में पारंगत है। जिसके बाद से यह अंदेशा जताया जाने लगा है कि चीन कहीं फिर से भारत के साथ धोखा करने प्लान तो नहीं बना रहा।
भारतीय सेना ने तीन दिन पहले ही दक्षिण कोरिया की तकनीकी पर बनी के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर की लद्दाख में तैनाती वाली तस्वीर जारी की है। चीन ने भी इसके जवाब में पहले से ही 155 एमएम कैलिबर की PCL-181 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तैनात कर रखा है। चीनी मीडिया का दावा है कि कुछ दिनों पहले इसके भी एक उन्नत संस्करण को लद्दाख के पास तैनात किया गया है। यह होवित्जर 122 मिमी-कैलिबर का बताया जा रहा है। K9 वज्र सेना के तोपखाने में शामिल पहली सेल्फ प्रोपेल्ड गन है। यानी इसे ढोने के लिए किसी दूसरे वाहन की जरूरत नहीं पड़ती। यह खुद एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है। यह कमजोर जमीन पर धंसती नहीं है और टैंक के साथ-साथ आगे बढ़ती है। 155 एमएम/52 कैलिबर की यह तोप 30 सेकंड में तीन गोले दाग सकती है। इसकी रेंज 38 किलोमीटर तक है।
तस्वीर-भारत का के9 वज्र : चीन ने एलएसी पर PHL-03 लॉन्ग-रेंज मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को तैनात किया है। चीनी मीडिया सीसीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, नए PHL-03 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर्स की 10 यूनिट को लद्दाख के नजदीक तैनाती की गई है। इसके प्रत्येक यूनिट में चार क्रू मेंबर शामिल हैं। इसमें 300 एमएम के 12 लॉन्चर ट्यूब लगे हुए हैं। जबकि, इसके जवाब में भारत की तरफ से पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को तैनात किया गया है। पिनाका मूल रूप से मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम है। इससे सिर्फ 44 सेकेंड्स में 12 रॉकेट दागे जा सकते हैं। पिनाका सिस्टम की एक बैटरी में छह लॉन्च वीकल होते हैं, साथ ही लोडर सिस्टम, रडार और लिंक विद नेटवर्क सिस्टम और एक कमांड पोस्ट होती है। एक बैटरी के जरिए 1×1 किलोमीटर एरिया को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता है। मार्क-I की रेंज करीब 40 किलोमीटर है जबकि मार्क-II से 75 किलोमीटर दूर तक निशाना साधा जा सकता है। पिनाक रॉकेट का मार्क-II वर्जन एक गाइडेड मिसाइल की तरह बनाया गया है। इसमें नेविगेशन, कंट्रोल और गाइडेंस सिस्टम जोड़ा गया है ताकि रेंज बढ़ जाए और सटीकता भी। मिसाइल का नेविगेशन सिस्टम सीधे इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम से जोड़ा गया है। ताजा अपग्रेड्स के साथ, मार्क-II ‘नेटवर्क केंद्रित युद्ध’ में अहम भूमिका निभा सकता है।
चीन ने लद्दाख में टाइप-15 लाइट टैंक को तैनात किया हुआ है। ये टैंक पठारी क्षेत्रों में तेजी से प्रतिक्रिया कर लड़ाई को घातक बना सकते हैं। शिनजियांग और तिब्बत दोनों सैन्य कमान अब इन हल्के टैंकों का संचालन कर रहे हैं। भारत ने लद्दाख में जिन T-90 टैंकों की तैनाती की हैं, वे मूल रूस से रूस में बने हैं। भारत टैंकों का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। उसके बेड़े में करीब साढ़े 4 हजार टैंक (T-90 और उसके वैरियंट्स, T-72 और अर्जुन) हैं। भारत में इन टैंकों को ‘भीष्म’ नाम दिया गया है। इनमें 125mm की गन लगती होती है। T-72 को भारत में ‘अजेय’ कहा जाता है। भारत में ऐसे करीब 1700 टैंक हैं। यह बेहद हल्का टैंक है जो 780 हॉर्सपावर जेनेरेट करता है। यह न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचने के लिए भी बलाया गया है। यह 1970 के दशक में भारतीय सेना का हिस्सा बना था। ‘अजेय’ में 125 एमएम की गन लगी है। साथ ही इसमें फुल एक्सप्लोसिव रिऐक्टिव आर्मर भी दिया गया है।
चीन ने भारत के चिनूक ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर के जवाब में अपने Z-20 हेलिकॉप्टर को तैनात किया है। चीन का दावा है कि यह हेलिकॉप्टर किसी भी मौसम में सैनिकों और सैन्य साजो सामान को पहुंचा सकता है। इसके अलावा Z-8G विशाल ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर तैनात किया गया है। यह हेलिकॉप्टर 4500 फुट की ऊंचाई पर भी काम कर सकता है। चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि पीएलए ने हथियारों से लैस GJ-2 ड्रोन निगरानी विमान को तिब्बत में तैनात कर रखा है। इसे पूरे तिब्बत में निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत के अपाचे के जवाब में चीन ने लद्दाख में जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को तैनात किया हुआ है। पिछले साल चीन ने इस हेलिकॉप्टर के लाइव फायर ड्रिल को भी आयोजित किया था। जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को चाइना एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रियल ग्रुप और चाइना हेलीकॉप्टर रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है। जबकि इस हेलिकॉप्टर का निर्माण चांगे एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ने किया है। जेड-10 हेलिकॉप्टर को मुख्य रूप से दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला करने के लिए विकसित किया गया है। जो एंटी टैंक और एयर टू एयर मिसाइलों से लैस है। इस हेलिकॉप्टर को चीन ने पहली बार 2003 में प्रदर्शित किया था। इस हेलिकॉप्टर में गनर आगे की सीट पर जबकि पायलट पीछे की सीट पर बैठा रहता है। पायलट और गनर को बचाने के लिए हेलिकॉप्टर में बुलेट प्रूफ ऑर्मर का भी इस्तेमाल किया गया है। जिसमें बैठा गनर 20 एमएम या 30 एमएम की ऑटो कैनन गन से दुश्मनों पर फायर कर सकता है। इसमें आठ की संख्या में एजजे-10 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और आठ टीवाई-19 एयर टू एयर मिसाइलें भी लगी होती हैं। इसके अलावा चार पीएल-5, पीएल-7 और पीएल-9 एयर टू एयर मिसाइलें भी तैनात होती हैं।
चीन ने पीसीएल-181 हॉवित्जर को भी किया तैनात : रिपोर्ट में बताया गया है कि चीनी सेना ने 100 से अधिक पीसीएल-181 ट्रक माउंटेड हॉवित्जर को भी तैनात किए हुए है। चीन का दावा है कि उसके पीसीएल -181 हॉवित्जर की फायरिंग रेंज M777 से दोगुनी है। 155 एमएम कैलिबर की PCL-181 सेल्फ प्रोपेल्ड हॉवित्जर को लद्दाख के आसपास के इलाकों में तैनात किया गया है। चीनी मीडिया का दावा है कि कुछ दिनों पहले इसके भी एक उन्नत संस्करण को लद्दाख के पास तैनात किया गया है। यह होवित्जर 122 मिमी-कैलिबर का बताया जा रहा है।