दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज के आखिरी टेस्ट की आख़िरी पारी में अफ्रीका को सीरिज जीतने के लिए 212 रन की चुनौति भारत ने दी है। जिसके जवाब में मार्कराम के जल्दी आऊट होने के बाद कप्तान एल्गर और पीटरसन ने 78 रन की मजबूत से साझेदारी करके फिल्हाल अफ्रीका को आगे कर दिया है। पीटरसन फिर अड़े हुए हैं और 48 पर नाबाद लौटे हैं। चौथे दिन जब खेल शुरू होगा तो भारत को अनुशासित गेंदबाजी के साथ ही पीटरसन और बावुमा के विकेट चटकाने होंगे। जितनी देर यह खेलेंगे भारतीय टीम टेस्ट व सीरीज से उतना ही दूर होती जायगी। चौथे दिन अफ्रीका को 111 रन बनाने हैं वहीं भारत को 8 विकेट की दरकार रहेगी।
बहुत से क्रिकेट प्रेमियों को लगा होगा कि मैने पहले दिन “गेंदबाजों के भरोसे” तो दूसरे दिन “बल्लेबाज़ों के हाथ में केपटाउन” क्यों लिखा था। क्रिकेट में कोई टीम पहले दिन जब केवल 223 पर आऊट हो जाय तो ज़ाहिर सी बात है कि टेस्ट में वापसी गेंदबाज़ ही करा सकते हैं। यदि आफ्रीका पहली पारी में बढ़त हासिल कर लेता तो भारतीय टीम वापसी नहीं कर सकती थी। लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने अफ्रीका को 210 पर आऊट करके टेस्ट में भारत की अविश्वसनीय वापसी करा दी थी। यह भी जाहिर है कि टेस्ट मैच में दूसरी पारी भी होती है। गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के बाद अब मैच में भारत को आगे रखने का जिम्मा बल्लेबाजों पर था, दूसरी पारी में जितनी दमदार बल्लेबाजी करते, उतना ही केपटाउन टेस्ट व सीरिज जीतने के करीब होते। दूसरी पारी शुरु होते समय मैच लगभग बराबरी पर था, जहां से अच्छी बल्लेबाजी से भारत की स्थिति मजबूत हो सकती थी। लेकिनगेंदबाजों की मेहनत के साथ भारतीय बल्लेबाज कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नहीं हुए।
खुशी का पल यही था कि अभी तक विकेट फेकते आ रहे ऋषभ पंत पर संभवतः आलोचनाओं, कोच की फटकार का और कप्तान के साथ बल्लेबाजी करने का असर हुआ और पंत ने कभी न भूलने वाला शतक बना दिया। कप्तान कोहली टीम के जहाज़ में लंगर डाले खड़े हुए थे। हर क्रिकेट प्रेमी जानता था की कोहली व पंत की साझेदारी टूटते ही भारतीय टीम का जहाज केपटाउन में फिर हिचकोले खाने लगेगा। हुआ भी वही जो मानो पहले टेस्ट का रीप्ले हुआ और कप्तान की वापसी हो चुकी थी। इसके बाद अफ्रीकी कप्तान की तारीफ़ करनी होगी कि उन्होने सिंगल रोकने पर फोकस नही किया बल्कि पंत को बाउंड्री लगाने से रोकते रहे, जिससे भारतीय टीम को ज्यादा बढ़त नहीं मिली। विपरीत परिस्थितियों में ऋषभ पंत के 100*, कप्तान कोहली के 29 और अतिरिक्त 28 रनों की मदद से भारत दूसरी पारी में 198 रन बना पाया। भारतीय टीम के बाकी 9 खिलाड़ियों का योगदान मात्र 41 रनों का था। कोहली और ऋषभ के बाद के एल राहुल 10 को छोड़कर कोई भारतीय खिलाड़ी दहाई में भी नहीं पहुंच सके। हर बार 200 रन के छोटे स्कोर में गेंदबाज मैच जिता दें, ये संभव भी नहीं है।
लेकिन सकारात्मक सोच के साथ धैर्य रखकर चौथे दिन मैच से जुड़ना चाहिए, शायद गेंदबाज करामाती प्रदर्शन करके केपटाउन में इतिहास लिखने में सफल हो जाएं। अश्विन को पूर्व कोच शास्त्री के कुलदीप को विदेश में बेस्ट स्पिनर कहने वाले बयान को गलत सिद्ध करने का इससे बेहतर कोई और मौका नहीं मिलेगा। चौथे दिन जिसने दबाव में अनुशासित प्रदर्शन किया, जीत भी उसकी ही होगी।
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