जैसा कि स्पोर्ट्स एज ने 5 जनवरी के अंक में लिखा था कि भारत को यदि जीतना है तो एल्गर, पीटरसन और बावुमा को आऊट करने का तरीका ढूंढना होगा लेकिन भारतीय टीम व सपोर्ट स्टाफ (वीडियो एनालिस्ट) इसमें विफल रहा और नतीजा भारत 7 विकेट से पराजित हो गया। एल्गर ने 96 रन की कप्तानी पारी खेली तो पीटरसन व बावुमा ने छोटी मगर शानदार साझेदारियां करके अफ्रीका को जोहांसबर्ग में जीत दिला दी। इस सीरिज के दोनों टेस्ट में अफ्रिका के इन तीन बल्लेबाज़ों ने ही रन बनाए हैं। लेकिन ये तीनों कंसिस्टेंट परफॉर्मर हैं इसी वजह से दक्षिण अफ्रीका ने 240 रन का टारगेट केवल 3 विकेट खोकर हासिल कर लिया। हालंकि भारत की दूसरी पारी को ढहाने में रबाडा के जादुई स्पेल की भी भूमिका रही जिससे टारगेट छोटा रह गया। हालाकि अफ्रीकी कप्तान एल्गर ने जिस प्रकार चौथे दिन टारगेट चेज़ किया उसे देखकर यही लगा कि 300 का टारगेट भी होता तो भी अफ्रीका चेज़ कर सकता था।
अब भारतीय टीम की चर्चा करूं तो पंत सबसे ज्यादा गैर जिम्मेदाराना बल्लेबाज रहे। जिस अफ्रीकी वान दुसे से फिजूल की बहस में पंत खुद तो विकेट फेक गए मगर उसी वान दुसे ने चौथी पारी में 40 रन बनाकर अफ्रीकी कप्तान के साथ मैच जिताऊ साझेदारी कर दी और पंत को जोरदार सबक भी सिखा दिया। पंत ने पहले पीटरसन का कैच भी छोड़ा था जिसके बाद पीटरसन अच्छी पारी खेलने में सफल रहे थे।
जैसी की आशंका थी कि भारत को एक अच्छे स्पिनर की कमी महसूस होगी और यह कमी अश्विन की असफलता से और ज्यादा महसूस हो रही है। पीटरसन का विकेट छोड़ दें तो अश्विन गेंद को टर्न ही नहीं करा पाए, नतीजा स्पिन खेलने की अफ्रीकी खिलाडिय़ों की कमजोरी भांप कर उन्हे आऊट करना तो दूर अश्विन उन्हे परेशान भी नहीं कर पाए।
भारतीय बल्लबाजी का पहली पारी में जल्दी बिखरना, अफ्रीका को 27 रन की बढ़त मिलना भी टेस्ट मैच में भारत के पिछड़ने के महत्वपूर्ण कारण रहे। एल्गर, पीटरसन और बावुमा ने औसतन हर पारी में रन बनाए जबकि भारत के मयांक अग्रवाल, पुजारा, रहाणे व पंत कंसिस्टेंट परफॉर्मर नहीं थे।
अब तीसरा टैस्ट सीरीज के लिहाज महत्त्वपूर्ण हो गया है। भारत को यदि इतिहास रचना है तो सीरिज जीतने के लिए टीम में आवश्यक परिवर्तन करने ही होंगे।