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October 20, 2024
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एमपी में आदिवासियों के दरवाजे पर पहुंचेगी सरकारी राशन, 16 जिलों में ‘मुख्यमंत्री राशन आपके द्वार’ योजना


शिवराज कैबिनेट की मीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए हैं। गरीब जनजाति परिवारों की सुविधा के लिए प्रदेश के आदिवासी विकासखंडों की उचित मूल्य दुकानों के आश्रित ग्रामों के पात्र परिवारों को उनके गांव में ही राशन देने की योजना को मंजूरी मिल गई है। इस योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री राशन आपके द्वार’ (Mukhyamantri Ration Aapke Dwar Scheme) है। उप चुनाव निर्वाचन आचार संहिता के जिलों को छोड़कर शेष जिलों के आदिवासी विकासखंडों में नवंबर 2021 से यह योजना लागू की जाएगी।
‘मुख्यमंत्री राशन आपके द्वार’ योजना में 16 जिलों के 74 विकासखंड में 7511 ग्राम आएंगे। इससे जनजातीय परिवारों को लाभ मिलेगा। मुख्यालय गांव को छोड़कर दुकान से संलग्न अन्य गांवों में वाहन के माध्यम से परिवहन कर राशन सामग्री का वितरण किया जाएगा। कलेक्टर हर महीने में राशन वितरण के लिए तारीख निर्धारित करेंगे। एक गाड़ी से महीने में औसतन 220 से 440 क्विंटल खाद्य सामग्री का वितरण किया जाएगा। खाद्यन्न परिवहन में अनुमानित 472 वाहन उपयोग किए जाएंगे। एक मीट्रिक टन वाले वाहन पर 24 हजार रुपये प्रतिमाह और 2 मीट्रिक टन वाले वाहन पर 31 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से सालाना व्यय 14 करोड़ 7 लाख रूपये अनुमानित है।
गुणवत्ता की जांच की जाएगी : वाहन में खाद्यान्न लोड करते समय उसकी गुणवत्ता का परीक्षण किया जाएगा। वाहन में सामग्री तौलने के लिए इलेक्ट्रानिक तौल कांटा, माइक, स्पीकर, पीओएस मशीन रखने, बैठने और खाद्यान्न सुरक्षित रखने की सभी व्यवस्थाएं होंगी। वाहनों की व्यवस्था के लिए परिवहनकर्ताओं के साथ जिला स्तर पर अनुबंध किया जाएगा। परिवहनकर्ता उसी क्षेत्र के ग्रामों के निवासी होंगे। उनकी उम्र 21 से 45 वर्ष के बीच होगी और वे अनुसूचित जनजाति वर्ग से होंगे।
हर महीने वाहन मालिकों को भुगतान : वहीं, परिवहनकर्ताओं को प्रतिमाह निर्धारित व्यय का भुगतान किया जाएगा। परिवहनकर्ता को वाहन क्रय के लिए ऋण राशि पर मार्जिन मनी प्रदान की जाएगी। एक मीट्रिक टन क्षमता वाले वाहन के लिए दो लाख रुपए और दो मीट्रिक टन या अधिक क्षमता वाले वाहन के लिए तीन लाख रुपए की मार्जिन मनी का भुगतान किया जाएगा। मार्जिन मनी की एकमुश्त राशि 9 करोड़ 69 लाख रुपए का भुगतान जनजातीय कार्य विभाग की तरफ से किया जाएगा।
गौरतलब है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानें अभी ग्राम पंचायत के स्तर पर है। ऐसे में ग्रामीणों को हर महीने पांच किलोमीटर की दूरी 23-37 किलो सामाग्री सिर पर रखकर तय करनी पड़ती है। इसकी वजह से दिव्यांग, वृद्ध शारीरिक रूप से असक्षम व्यक्ति को दुकान से राशन सामग्री प्राप्त करने में कठिनाई उत्पन्न होती है। वहीं, गरीब परिवारों को मजदूरी में नुकसान उठाना पड़ता है।

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