पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुर्सी बचाने के लिए पाकिस्तानी राजदूत की ओर से भेजे गए एक राजनयिक संदेश का हवाला देकर अमेरिका पर सरकार गिराने की साजिश का आरोप मढ़ दिया। यही नहीं इसी साजिश का हवाला देकर विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया गया। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को वर्षों तक इसका खामियाजा भुगतने का डर सता रहा है। यही नहीं विदेश मंत्रालय के अधिकारी प्रधानमंत्री के गोपनीय राजनयिक संदेश को सार्वजनिक करने के बाद अब भविष्य में ऐसा कोई संदेश भेजने से डर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बातचीत में खुलासा किया कि राजनयिक इस पूरे विवाद से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से इमरान खान ने गोपनीय संदेश का इस्तेमाल अपने राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए किया है, उसका विदेश मंत्रालय को आने वाले कई वर्षों तक खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अधिकारी ने कहा कि इमरान की इस गलती का असर यह होगा कि अब विदेशों में तैनात राजनयिक अपना आकलन करने में बहुत सावधान होंगे।
अमेरिका इमरान के आरोपों को भूलेगा नहीं: पूर्व आईएसआई चीफ : पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, ‘राजनयिक पाकिस्तान के लिए आंख और कान होते हैं और जिन देशों में वे तैनात होते हैं, वहां का स्पष्ट और ईमानदारी के साथ फीडबैक देते हैं। इसी फीडबैक के आधार पर देश के नीति निर्माता उस देश के प्रति अपनी नीति बनाते हैं। अधिकारी ने चेताया, ‘अगर सरकार ने इस तरह के सीक्रेट संदेश का इस्तेमाल अपने राजनयिक फायदे के लिए करना शुरू कर दिया तो राजनयिक ईमानदारी से अपना आकलन लिखने से बचेंगे।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार ने राजनयिक संदेश के मुद्दे को बहुत बढ़ा चढ़ाकर पेश किया।
इस बीच पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी का मानना है कि इमरान खान के उन आरोपों को अमेरिका आसानी से नहीं भूल पाएगा कि वह उन्हें हटाने की साजिश में शामिल था। एक सोशल मीडिया ब्लॉग पर अपना पोस्ट प्रसारित करते हुए दुर्रानी ने लिखा कि इमरान खान ने पीपुल्स पार्टी के मरहूम संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो की रणनीति को अपनाया है। उन्होंने लिखा, ‘जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1977 में इस कार्ड का प्रसिद्ध रूप से इस्तेमाल किया था, जब चुनावी धांधली के बाद विपक्ष उनके खिलाफ लामबंद हो गया था। मगर चाल उलट गई।’ भुट्टो को एक सैन्य तख्तापलट में जनरल जिया-उल-हक ने सत्ता से बाहर कर दिया था और तानाशाह द्वारा उन्हें दुखद रूप से मृत्युदंड दिया गया था।
‘वर्तमान सेना प्रमुख के एक असामान्य बयान के महत्व को देखें’ : जनरल ने आगे लिखा, ‘चूंकि आईके (इमरान खान) ने जेडएबी (जुल्फिकार अली भुट्टो) की किताब से एक पेज निकाल लिया है, इसलिए उन्हें यह याद रखना अच्छा होगा कि उनके फांसी दिए गए पूर्ववर्ती ने एक बार हाथियों के रूप में उनकी आम दासता को लेबल किया था। प्रजातियां अपनी उल्लेखनीय स्मृति के लिए जानी जाती हैं।’ दुर्रानी ने लोगों को मजबूती से सुझाव दिया कि ‘वर्तमान सेना प्रमुख द्वारा दिए गए एक असामान्य बयान के महत्व को देखें।’ उन्होंने कहा, ‘जब (जनरल कमर) बाजवा ने यूक्रेन संकट पर एक रुख अपनाया, जो सरकार की नीति के अनुरूप नहीं था, क्या यह यैंक्स को शांत करने के लिए कुछ सुलह के शोर करने के लिए था? आईके की ‘साजिश थीसिस’ के साथ अपनी असहमति व्यक्त करें या इसे अपने पसंदीदा प्रधानमंत्री के लिए बुरी खबर का अग्रदूत मानें?’