पाकिस्तान में कुर्सी बचाने के लिए झूठे दावे कर रहे प्रधानमंत्री इमरान खान को सहयोगी दल एमक्यूएम पी ने करारा झटका दिया है। संयुक्त विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से ठीक पहले एमक्यूएम पी ने इमरान खान के खिलाफ वोट देने का ऐलान कर दिया है। एमक्यूएम के साथ छोड़ देने से इमरान समर्थक सांसदों की संख्या घटकर 164 पहुंच गई है। वहीं विपक्षी दलों के खेमे में अब 177 सांसद हो गए हैं। एमक्यूएम पी के कुल 7 सांसद हैं। हालत यह हो गई है कि अब विपक्ष को इमरान की पार्टी के बागी सांसदों की भी जरूरत नहीं रह गई है।
पाकिस्तान के जिओ न्यूज के मुताबिक इस ताजा घटनाक्रम के बाद इमरान खान सरकार ने संसद के निचले सदन में अपना बहुमत खो दिया है। अविश्वास प्रस्ताव पर 3 अप्रैल को मतदान हो सकता है जिसमें अब इमरान खान का जाना तय माना जा रहा है। एमक्यूएम पी का यह फैसला विपक्षी दलों के साथ एक मसौदे पर हस्ताक्षर के बाद आया है। सूत्रों के मुताबिक इस समझौते पर नैशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ, पीडीएम के मुखिया मौलाना फजलुर रहमान और आसिफ अली जरदारी ने हस्ताक्षर किया है।
इमरान खान ने अपना आखिरी दांव चल दिया : इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एमक्यूएम पी के नेता फैसल सबजवरी ने ट्वीट किया कि संयुक्त विपक्ष और मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान के बीच समझौते को अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस समझौते के डिटेल के बारे में जल्द ही ऐलान किया जाएगा। पीपीपी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी ट्वीट करके एमक्यूएम पी के साथ समझौते की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस समझौते के विवरण को सार्वजनिक किया जाएगा।
इस बीच कुर्सी बचाने में लगे इमरान खान ने अपना आखिरी दांव चल दिया है। पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद के अनुसार, प्रधानमंत्री इमरान खान ने 3 अप्रैल को होने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दिन सत्तारूढ़ पीटीआई सांसदों को नेशनल असेंबली के सत्र में शामिल होने से रोक दिया है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ने मंगलवार को पीटीआई के संसदीय दल के प्रमुख/नेता के रूप में निर्देश जारी किए, जिसके एक दिन बाद विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ द्वारा उनके खिलाफ संसद के निचले सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया।
‘अनुच्छेद 63-ए के पीछे की मंशा को ध्यान में रखना जरूरी’ : पीटीआई ने कहा, ‘पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संसदीय दल के सभी सदस्य प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहेंगे। वे उस तारीख को नेशनल असेंबली की बैठक में वे शामिल नहीं होंगे, जब प्रस्ताव मतदान के लिए राष्ट्रीय के अजेंडे पर लाया जाए।’ हैंडआउट में कहा गया है कि सदन में प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रस्ताव पर बहस के दौरान पीटीआई की ओर से केवल नामित संसदीय सदस्य ही बोलेंगे।
इमरान खान की पार्टी ने कहा, ‘सभी सदस्यों को इन निर्देशों का पालन करना और पाकिस्तान के संविधान, 1973 के अनुच्छेद 63-ए के प्रावधान के पीछे की मंशा को ध्यान में रखना जरूरी है।’ पीटीआई प्रमुख ने सभी सांसदों को चेतावनी दी कि कोई भी सदस्य किसी भी निर्देश का उल्लंघन नहीं करेगा या किसी भी अन्य संसदीय दल/समूह को अविश्वास मत से संबंधित किसी भी पक्ष का विस्तार नहीं करेगा। कहा गया है कि इन निर्देशों के किसी भी उल्लंघन को ‘अनुच्छेद 63-ए के संदर्भ में स्पष्ट दलबदल’ माना जाएगा।