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September 21, 2024
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इन छोटी-छोटी बातों से बॉन्डिंग होती है कमजोर

बेटा तुम मेरा अभिमान बनोगे, मेरी कुल की शान बनोगे… दुनिया के हर पिता ये ही चाहते हैं कि उनका बेटा बुढ़ापे में उनका सहारा बने। आज कल के भागदौड़ और चकाचौंध भरे माहौल में बहुत कम ऐसे पिता हैं जिनका यह सपना पूरा हो पा रहा है। क्योंकि जिन बच्चों का बचपन में अपने पिता के साथ लगाव होता है वही बड़े होने पर उनसे मुंह मोड़ लेते हैं। पिता-पुत्र के रिश्ते में दरार पड़ने के एक नहीं बल्कि कई कारण हैं। तो चलिए आज बताते हैं कि ऐसी क्या वजह है जिसके चलते बाप- बेटा अच्छे दोस्त नहीं बन पाते हैं।
समय की कमी : सबसे बड़ा कारण है समय। रोज़ी-रोटी कमाने के लिए अकसर बाप पूरा-पूरा दिन घर से बाहर रहते हैं। पिता अपने बच्चों के साथ बहुत कम समय बिताते हैं। पिता के घर आने पर यदि बच्चा उनसे बात करने की कोशिश भी करे तो वह दिन भर की Frustation उसे डांट और फटकार कर निकाल देते हैं। इस कारण बेटे अपने पिता के करीब नहीं आ पाते हैं।
ज्यादा खुलापन : आज के दौर में पिता-पुत्र के रिश्ते के बीच कुछ ज्यादा ही खुलापन आ गया है। किसी जमाने में इस रिश्ते के बीच जो डर की दीवार होती थी वह अब गिर चुकी है। ज्यादा खुलेपन का नुक्सान यह है कि बेटा अपने पिता की बात टालने से भी परहेज नहीं करता है। ऐसे में दोनों के रिश्तों में खटास पैदा हो जाती है।
अपनी जिम्मेदारी से बचना : बहुत से पिता ये सोचते हैं कि उनका दायित्व बस एक अच्छे स्कूल में दाखिला करा देने तक सीमित है। बाकी का काम स्कूल वाले कर ही देंगे। लेकिन कोई भी स्कूल बच्चों को बाप से प्यार करना नहीं सिखाता है। इन्ही कारणों से बाप-बेटे के रिश्ते में दूरी पैदा हो जाती है।
बेटे को नासमझ समझना : कहा जाता है कि जब बाप के जूते बेटे के पैर में आने लगें तो वो बाप-बेटे नहीं रहते, दोस्त हो जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं सोचते वह बड़ा होने के बाद भी बेटे को नासमझ और बच्‍चा ही मानते रहते हैं। बार- बार बेटे को डांटना भी इस रिश्ते के लिए खतरनाक है।
रोब कम होने का डर : बहुत से लोग यह सोचते हैं कि बच्चे संभालना पत्नी का काम है। कुछ पिता इस डर से अपने बच्चों के साथ नहीं खेलते कि कहीं इससे बच्चों पर उनका रोब कम न हो जाए। ऐसे में वह बेटे के साथ फुरसत के कुछ पल बिताने से भी बचते हैं।
बेटे पर भरोसा ना रखना : जब कोई बेटा आगे बढ़ कर किसी काम की जिम्‍मेदारी लेता है तो उसका सारा उत्‍साह तभी खत्‍म हो जाता है, जब पापा कहते हैं – सोच लो, ये काम तुम्‍हारे बस का नहीं है। कहीं बात में कहो कि मुझसे नहीं होगा। ऐसी बातें सुनकर बेटे अपने पिता से हिचकने और दूर होने लगते हैं।

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