बच्चों को बड़ा करना, आसान काम नहीं है। पेरेंट बनने के बाद आपकी जिम्मेदारियां और चिंता काफी बढ़ जाती है। बच्चा होने के बाद आप हर वक्त उसकी भलाई और भविष्य को संवारने के बारे में सोचते रहते हैं। इसलिए ही पैरेंटिंग को एक मुश्किल टास्क कहा जाता है क्योंकि यहां आपको खुद को भुलाकर अपना सारा ध्यान अपने बच्चे पर देना होता है।
पहला बच्चा हो या दूसरा, ये सफर कभी भी आसान नहीं होता है। लेकिन दूसरी बाद च्वॉइसेस ज्यादा मुश्किल हो जाती है और इस बार आपको कुछ ऐसी बातें भी परेशान करती हैं जो पहली बार में आपने सोची भी न हों। सेकंड बेबी प्लान करते समय आपको भले ही लगे कि आप पहले से ही एक बच्चे की परवरिश कर रहे हैं और अब आपको थोड़ा एक्सपीरियंस हो गया लेकिन सेकंड जर्नी पहले की तरह नहीं होगी। सेकंड बेबी प्लान करते समय अक्सर मांओं के मन में कुछ डर या सवाल आते हैं।
अगर आप भी सेकंड बेबी प्लान कर रहे हैं, तो यहां बताई गई बातों से सहमत होंगे कि इस दौरान एक मां के मन में क्या-क्या बातें आती हैं और वो क्या सोचती है।
नहीं कर पाऊंगी प्यार : पहले बच्चे पर जो एहसास होता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। पहली बार पेरेंट बनने पर किसी भी कपल को बहुत ज्यादा खुशी होती है। वहीं दूसरे बच्चे पर कई मांओं को यह डर लगता है कि क्या वो अपने दूसरे बच्चे को भी पहले की तरह प्यार दे पाएंगीं। सच तो ये है कि हमारा दिल अपने आप ही उन लोगों के लिए जगह बना लेता है जिन्हें हम प्यार करते हैं इसलिए आप इस बात की चिंता बिलकुल न करें।
दो बच्चों को संभालना : परिवार बढ़ने का मतलब है जिम्मेदारियों का बढ़ना है। जब घर में दो बच्चे होंगे, तो उन्हें संभालना मुश्किल ही होगा। पहले बच्चे की पढ़ाई और स्कूल के साथ दूसरे बच्चे के साथ रातभर जागना होगा। वहीं अगर आप वर्किंग वुमेन हैं, तो आपके लिए ये रास्ता और भी मुश्किल हो सकता है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि मां को अपने शेड्यूल की चिंता न हो।
पहले और दूसरे बच्चे का बॉन्ड : घर में नए बेबी के आने पर, हर किसी का ध्यान उसी पर रहता है और शायद बड़े बच्चे पर ज्यादा ध्यान नहीं जा पाता है। जहां अभी तक घर का सारा प्यार और दुलार बड़े बच्चे को मिल रहा था, अब वो बंट जाएगा। कई बार भाई-बहन या सिबलिंग के बीच होने वाली लड़ाईयों को लेकर भी मां डर जाती है। उन्हें डर लगता है कि दोनों बच्चों के बीच बॉन्ड बन पाएगा या नहीं।
फाइनेंस : फैमिली प्लानिंग से पहले अपनी फाइनेंशियल स्थिति पर गौर करना बहुत जरूरी है। प्रेग्नेंसी से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक, हर चीज के बारे में सोचना पड़ता है। हम भले ही कितना प्लान कर के चल लें चिंता तो होती ही है।
क्या करें : मां के मन में सवाल उठना तो लाजिमी है लेकिन आपको इन चीजों के बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। दूसरे बेबी के आने के बाद चीजें अपने आप सैटल होना शुरू हो जाएंगी।
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