अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन को लेकर बड़ा बयान (Antony Blinken on China) दिया है। उन्होंने कहा कि चीन (America Vs China) अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए सबसे गंभीर दीर्घकालिक खतरा है। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि बाइडेन प्रशासन चीन के साथ ‘शीत युद्ध’ नहीं चाहता, लेकिन ये जरूर मानता है कि बीजिंग अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करे। ब्लिंकन ने आगे कहा कि अमेरिका, बीजिंग को ‘दीर्घकालिक चुनौती’ के रूप में देखता है। यूक्रेन पर रूस के हमले के विरोध में अमेरिका ने पूरी दुनिया को एकजुट कर दिया है लेकिन चीन, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए सबसे गंभीर खतरा बना हुआ है।
‘चीन से शीत युद्ध नहीं चाहता अमेरिका’ : ड्रैगन पर अमेरिका की विदेश नीति के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि चीन अकेला ऐसा देश है जिसका इरादा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलना है। इसके लिए वह आर्थिक, कूटनीतिक, सैन्य और तकनीकी शक्ति भी बढ़ाना चाहता है। उन्होंने कहा कि बीजिंग का दृष्टिकोण हमें उन यूनिवर्सल वैल्यूस से दूर ले जाएगा जिनके दम पर दुनिया ने पिछले 75 साल में तरक्की की है।
अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करे चीन, ब्लिंकन की दो टूक : एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का युद्ध जारी है फिर भी हमारा ध्यान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए सबसे गंभीर खतरे पर केंद्रित है, जो कि चीन की ओर से उत्पन्न किया गया है। बाइडन प्रशासन का लक्ष्य यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का विरोध करने वाले अंतर्राष्ट्रीय गुट को चीन के खिलाफ व्यापक गठबंधन के तौर पर विकसित करने का है।
ब्लिंकन ने चीन को लेकर और क्या कहा : जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में ब्लिंकन ने अपने संबोधन में कहा कि हम उन अंतरराष्ट्रीय कानून, समझौतों, सिद्धांतों और संस्थानों की रक्षा और मजबूत करेंगे जो शांति और सुरक्षा बनाए रखते हैं। अपने 30 मिनट के संबोधन के दौरान, ब्लिंकन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) की घोषणा और इस हफ्ते की शुरुआत में हुए क्वाड मीटिंग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम घर पर और दुनियाभर के देशों के साथ जो कार्रवाई करते हैं, वहीं निर्धारित करेगी कि भविष्य के बारे में हमारा साझा दृष्टिकोण साकार होगा या नहीं।
ब्लिंकन ने अपने संबोधन में तिब्बत का जिक्र कर चीन को घेरा : ब्लिंकन ने अपने भाषण में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के प्रति अमेरिकी प्रशासन की रणनीति को तीन शब्दों में रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि निवेश करें, संरेखित करें और प्रतिस्पर्धा करें। उन्होंने कहा कि जहां प्रशासन ने अपने अधिकांश संसाधनों को मास्को को नियंत्रित करने के लिए समर्पित किया है, वहीं वाशिंगटन बीजिंग को ‘दीर्घकालिक चुनौती’ के रूप में देखता है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी तिब्बत में चीन के मानवाधिकारों के उल्लंघन का जिक्र किया और कहा कि हम तिब्बत पर एक साथ खड़े हैं।