ऑक्सफर्ड की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर ब्रिटेन ने सनसनीखेज दावा किया है। ब्रिटेन के सुरक्षा सूत्रों ने कहा है कि रूस ने ऑक्सफर्ड/ एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन का ब्लूप्रिंट चुराया और इसके बाद अपनी स्पुतनिक कोरोना वैक्सीन का निर्माण किया। यही नहीं एक रूसी एजेंट वैक्सीन के विकास के दौरान मौजूद था। उसी ने ऑक्सफर्ड की वैक्सीन का डिजाइन रूस को दे दिया।
सूत्रों ने कथित रूप से मंत्रियों को बताया कि इस बात के पक्के सबूत हैं कि रूस के लिए काम करने वाले जासूसों ने एस्ट्राजेनेका कंपनी से यह कोविशील्ड का डिजाइन चुराया ताकि अपनी स्पुतनिक वैक्सीन को बनाया जा सके। द सन की रिपोर्ट के मुताबिक एक विदेशी एजेंट ने कोविशील्ड का ब्लूप्रिंट और जरूरी सूचना चुरा लिया। यह दावा ऐसे समय पर आया है जब कुछ महीने पहले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि उन्होंने स्पुतनिक वी कोरोना वैक्सीन लगवाई है।
रूसी अध्ययन में केवल 76 लोग शामिल : पुतिन ने रूसी जनता से अपील की कि वे कोरोना से जंग के लिए वैक्सीन लगवाएं। द सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सितंबर में मॉस्को में हुए दो शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे ब्रिटेन के प्रतिष्ठित जर्नल द लासेंट में प्रकाशित हुए थे। इसमें संकेत मिलता है कि रूसी वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है। रूसी वैक्सीन स्पुतनिक में ठीक उसी तकनीक का प्रयोग किया गया है जो ऑक्सफर्ड की वैक्सीन में है।
इस अध्ययन को करने वाले रूसी वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना वैक्सीन लगाए जाने के बाद लोगों में बेहतर इम्यून रेस्पांस मिला और किसी गंभीर दुष्प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ा। पश्चिमी देशों के स्वतंत्र वैज्ञानिकों का कहना है कि ये परिणाम ‘कुछ हद तक आश्वासन देने वाले हैं’ लेकिन चेतावनी दी कि ये ट्रायल बहुत छोटे हैं और लाखों रूसी लोगों को लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। रूसी अध्ययन में केवल 76 लोग शामिल थे और इनमें से केवल आधे को ही वास्तव में कोरोना का टीका लगाया गया था।