जीत से 5 विकेट दूर भारत
मयंक अग्रवाल ने दूसरी पारी में 62 रन पुजारा 47 और गिल 44 के सहारे भारत ने 275 पर पारी घोषित कर 540 रन का पहाड़ नुमा नामुमकिन लक्ष्य न्यूजीलैंड के सामने रखा था। लेकिन जैसा कि अनुमान था कि लोथम और टेलर के जल्दी आउट होने से ही जीत की खुशबू आने लगी थी। मिचेल ने एक छोर से किला लड़ाने की कोशिश जरुर की मगर वह अक्षर का शिकार हो गए। चौथे दिन सुबह कीवी टीम 140/5 से आगे जब खेलेगी तो 400 रन बनाकर हार टालना या पूरे दो दिन बल्लेबाजी कर पाना असम्भव लगता है। हालांकि 2005 का मोहाली टेस्ट याद आता है जब कामरान अकमल और अब्दुल रज्जाक की शानदार पारियों से पाकिस्तान पराजय टालने में सफल हो गया था। लेकिन मुंबई में ऐसा कुछ होने की संभावना दिखाई नहीं देती।
यदि प्रदर्शन की बात की जाय तो ऐजाज पटेल इस सीरिज की खोज कहे जा सकते हैं। विदेशी स्पिनर द्वारा भारत की ज़मीन पर भारत के विरुद्ध परफेट टेन के साथ 14 विकेट लेना असंभव को संभव करने का सबसे बड़ा उदाहरण है।
मयंक अग्रवाल पिछली असफलताओं से सबक लेकर वापस फार्म में लौट आए यह भारत के लिए सुखद है किंतु बाकी टीम का प्रदर्शन चैंपियन टीम की तरह नहीं है। कई वर्षों बाद भारत की टीम में किसी खिलाड़ी के प्रदर्शन में निरंतरता नहीं है। कप्तान सहित किसी भी प्लेयर पर यह भरोसा नहीं है की ये खिलाड़ी 30 या 40 तो बनाएगा ही। फिर टेस्ट मैच 30/40 से जीते भी तो नहीं जाते। अक्षर पटेल यदि 8 वे नंबर पर रन न बनाते तो भारत 300 भी नहीं कर पाता, यह कड़वी सच्चाई है। लेकिन विशेषज्ञ बल्लेबाज़ की बजाए अक्षर या अश्विन से ज्यादा उम्मीद करना बेमानी ही होगा। सचिन के समय की अर्थात 2000 से 2015 तक भारतीय टीम में बेंच स्ट्रेंथ के लिए बमुश्किल जगह बन पाती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय टीम में कप्तान के अलावा अन्य किसी की जगह प्रदर्शन के लिहाज से पक्की दिखाई नहीं देती। पुजारा या रहाणे के बल्ले खामोश हैं तो कप्तान भी 58 अंतर्राष्ट्रीय पारियों से मैदान पर तूफान बनकर नहीं उतर पाए हैं।
भारत का अगला टूर अफ्रीका का है कोरोना के संकट के बीच अफ्रिका का दौरा कराने का जोखिम बीसीसीआई अध्यक्ष लेते हैं या नहीं ये तो कुछ समय बाद ही पता चलेगा किंतु अफ्रीका दौरे के लिहाज़ से इस सीरीज में भारतीय टीम की तैयारी बहुत अच्छी नहीं हुई है। टॉप ऑर्डर और मध्यक्रम में संतुलन लाना अभी भी भारतीय टीम की बहुत बड़ी आवश्यकता है।