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November 22, 2024
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भविष्य की जंग के लिए रोबोटिक सैनिक बना रहा रूस, ‘आयरन मैन’ की तरह पहनेंगे हाईटेक सूट

अमेरिका से बढ़ते खतरे को देखते हुए रूस ने भी अपने सैनिकों को हाईटेक बनाना शुरू कर दिया है। सीरिया में तैनात रूसी सेना के जवान कॉम्बैट एक्सोस्केलेटन तकनीक के जरिए जंग के हालात की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। इस हाईटेक सूट में आम तौर पर इलेक्ट्रिक मोटर्स, न्यूमेटिक्स या हाइड्रोलिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे पहनने के बाद सैनिकों की ताकत और उनके अंगों के काम करने की शक्ति में अभूतपूर्व इजाफा होता है।
50 फीसदी वजन ज्यादा उठा सकते हैं सैनिक : स्पुतनिक की रिपोर्ट के अनुसार, रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन के आर्मामेंट, एम्यूनिशन और स्पेशल परपज केमेस्ट्री के इंड्रस्ट्रियल डायरेक्टर बेखान ओजदोव ने खुलासा किया है कि रूसी इंजीनियरों ने इलेक्ट्रिक मोटर्स से लैस एक लड़ाकू एक्सोस्केलेटन का पहला प्रोटोटाइप बनाया है। शनिवार को मॉस्को के बाहरी इलाके में जारी आर्मी-2021 मिलिट्री एक्सपो में उन्होंने कहा कि लोमोनोसोव मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिक्स के अपने सहयोगियों के साथ हम जो एक्सोस्केलेटन बना रहे हैं, वह मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम पर भार को 50 प्रतिशत तक कम कर देता है।
जंग के मैदान में सैनिकों की कार्यकुशलता बढ़ेगी : उन्होंने यह भी बताया कि इसे पहनकर दौड़ने या चलने पर ऊर्जा की खपत 15 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके अलावा ये सैनिक 60 किलोग्राम तक के भार को उठा सकते हैं। ऐसे में ये जवान पहाड़ी या उबड़-खाबड़ इलाकों में अधिक मात्रा में हथियार, गोला-बारूद लेकर दुश्मन से मुलाबला कर सकते हैं। इससे पहनने से सैनिकों की कार्यकुशलता में 20 फीसदी तक अधिक कार्यकुशलता आ जाती है।
दो मोड में काम करेगा एक्सोस्केलेटन सूट : कंपनी के अधिकारी का कहना है कि एक्सोस्केलेटन दो मोड में काम करने में सक्षम है – “सक्रिय” और “निष्क्रिय”। सक्रिय मोड में, बैटरी से चलने वाले गियरलेस इलेक्ट्रिक मोटर्स पहनने वाले की शारीरिक क्षमताओं को बढ़ाने का काम करते हैं। सिस्टम तब सक्रिय होता है जब कोई सैनिक उबड़-खाबड़ या पहाड़ी इलाके से गुजर रहा होता है। पैसिव मोड को गियर के साथ समतल सतह पर गति करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सेंसर्स रखेंगे सैनिक की सेहत पर नजर : एक्सोस्केलेटन के सर्वो मोटर्स में पोजिशन सेंसर, साथ ही पैर क्षेत्र में प्रेशर सेंसर लगे हुए हैं। ये दोनों सेंसर यह सुनिश्चित करते हैं कि एक्सोस्केलेटन पहनने वाले सैनिक का मूवमेंट आसानी से और उसके अनुकूल हो। रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिक्स के साथ, रोस्टेक की सहायक कंपनी TSNIITochMash (सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर प्रिसिजन मशीन बिल्डिंग) एक्सोस्केलेटन के निर्माण में शामिल है।

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