अपने कार्यकाल की अंतिम आधिकारिक यात्रा पर रविवार को इजरायल पहुंची जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ फलस्तीन के मुद्दे पर उलझ गईं। इजरायल पहुंचने पर मर्केल का गर्मजोशी से स्वागत भी किया गया, लेकिन ईरान के परमाणु कार्यक्रम और फलस्तीनी राज्य के गठन के मुद्दे पर मतभेद भी उभर आए। मर्केल ने जहां फलस्तीनी राज्य की स्थापना पर जोर दिया, वहीं पीएम बेनेट ने उसी मंच से इसका विरोध किया।
मर्केल ने कहा कि जर्मनी, ईरान के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने को लेकर प्रतिबद्ध है जिसका इजरायल ने विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि जर्मनी का मानना है कि दो राज्य सिद्धांत इजरायल के फलस्तीन के साथ दशकों से चल रहे संघर्ष को खत्म करने का सबसे बेहतर समाधान है। मर्केल ने यह भी कहा कि कब्जा की गई जमीन जिस पर फलस्तीनी दावा करते हैं, वहां इजरायली बस्तियों को बसाना सहायक साबित नहीं होगा।
मर्केल ने फलस्तीनी राज्य की स्थापना पर दिया जोर : इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में मर्केल ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से इस समय मेरा मानना है कि भले ही मौजूदा परिवेश में लगभग नाउम्मीदी का माहौल लगता है, लेकिन दो राज्य समाधान को वार्ता की मेज से अलग नहीं करना चाहिए, इसे दफन नहीं करना चाहिए.. और फलस्तीनियों को एक राज्य में सुरक्षित रूप से रहने में सक्षम होना चाहिए।
बेनेट बोले- यह किसी आतंकी राज्य की स्थापना करने जैसा : कथित रूप से अवैध बस्तियों को बसाने में भूमिका निभाने वाले बेनेट ने फलस्तीन राज्य की स्थापना का विरोध किया और तुरंत इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हमारा अनुभव है कि फलस्तीन राज्य की स्थापना का अभिप्राय मेरे घर से मात्र सात मिनट की दूरी पर और इजरायल के किसी भी केंद्र के नजदीक आतंकवादी राज्य की स्थापना करना होगा। प्रधानमंत्री बेनेट ने खुद को व्यावहारिक व्यक्ति बताते हुए जोर दिया कि उन्होंने पश्चिमी तट और गजा पट्टी में फलस्तीनियों का जीवनस्तर सुधारने के लिए कदम उठाने की तैयारी की है।
मर्केल के कार्यकाल में इजरायल-जर्मनी के संबंध हुए हैं मजबूत : मर्केल की दो दिवसीय यात्रा के दौरान फिलिस्तीन उन कुछ मुद्दों में एक है जिस पर जर्मनी और इजरायल के बीच असहमति है जबकि मर्केल के 16 साल के कार्यकाल को जर्मनी द्वारा इजरायल को अटूट समर्थन के रूप में चिह्नित किया गया था। दोनों नेताओं के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है और उन्होंने ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने का संकल्प लिया है। हालांकि, दोनों नेताओं की इसके तरीके को लेकर अलग-अलग राय है।
ईरान के साथ परमाणु करार में जर्मनी भी शामिल : जर्मनी ने ईरान के साथ वर्ष 2015 में विश्व शक्तियों के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते में अहम भूमिका निभाई थी जिसे जेसीपीओए के नाम से भी जाना जाता है। मर्केल ने कहा कि मैंने कभी जेसीपीओए को आदर्श नहीं माना लेकिन यह कोई करार नहीं होने से बेहतर है। उन्होंने कहा कि स्थिति बहुत गंभीर है क्योंकि ईरान यूरेनियम का संवर्धन जारी रखे हुए है। मर्केल ने रूस और चीन सहित करार में शामिल शक्तियों का आह्वान किया कि वे मुद्दे पर चर्चा करें। वहीं, बेनेट ने कहा कि ईरानियों का तुष्टिकरण करने का कोई तुक नहीं है। वे मेलमिलाप को कमजोरी के तौर पर ले रहे हैं।