मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की दावा राशि वितरण में विसंगतियों को लेकर किसानों से चर्चा की। इस दौरान किसानों ने बीमा राशि को लेकर शिकायतें बताईं। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुख्य रूप से चार-पांच तरह की शिकायत किसान कर रहे हैं। स्केल ऑफ फाइनेंस है। उससे कम राशि दी गई। जिनकी बीमा प्रीमियम कट गई है, लेकिन उनको राशि नहीं मिली। जिनकी राशि आ गई है, उसे होल्ड कर दिया गया है। इसके अलावा, जितनी राशि मिलनी चाहिए थी, वह नहीं दी गई है। सवा 2 लाख दिए लेकिन सवा लाख खाते में आए।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने बताया कि इस तरह की सभी शिकायतों को जुटाकर उपभोक्ता फोरम, बीमा कंपनियों, बैंकों और मप्र शासन से किसानों की लड़ाई लडेंगे। उन्होंने कहा कि यह ऑनलाइन माध्यम से जुड़ने का यह पहला प्रयास था। अगली बार बिजली बिलों को लेकर किसानों से चर्चा करेंगे।
किसानों की एक समस्या यहां भी सामने आई बैंकों और सहकारी सोसायटियों द्वारा बिना किसानों की सहमति के बीमे की राशि को कर्ज की राशि में समायोजित किया जा रहा है जबकि कोऑपरेटिव सोसायटियों में किसानों द्वारा लिए गए कर्ज का भुगतान 31 मार्च तक किया जाना है उसके बावजूद भी जबरजस्ती किसानों की बीमा की राशि को कर्ज की राशि में समायोजित किया जा रहा है।
डमी चेक में दिखाई अधिक बीमा राशि : कुछ किसानों का कहना था कि उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रम में दिए गए डमी चेक में अधिक बीमा की राशि दर्शाई गई लेकिन किसानों के खातों में डमी चेक पर दर्शाई गई राशि न देकर आधी या उससे भी कम राशि दी गई है। साथ ही कई जिले ऐसे हैं जो आपदा ग्रस्त घोषित किए गए थे जिनमें शत प्रतिशत फसल खराब हो गई थी उनमें भी स्केल ऑफ फाइनेंस की तुलना में बहुत कम बीमा की राशि किसानों को मिली है।
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