17.3 C
Madhya Pradesh
November 22, 2024
Pradesh Samwad
देश विदेश

पंजशीर के ‘शेरों’ के पलटवार से बौखलाया तालिबान, कहा- खून से चुकानी होगी कीमत

अफगानिस्‍तान में विद्रोहियों के गढ़ पंजशीर घाटी को कई दिनों से घेरकर बैठे तालिबानी आतंकियों को लगातार हर हमले में मुंह की खानी पड़ रही है। ताजा हमलों में उनके 8 से ज्‍यादा लड़ाके मारे गए हैं। अपने लड़ाकुओं के मारे जाने से ताल‍िबान बौखला गया है और उसने नॉर्दन एलायंस के नेता अहमद मसूद को धमकी दे डाली है। तालिबान ने कहा है कि विद्रोहियों को अपने खून से इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
पंजशीर घाटी ही अब एकमात्र इलाका है जहां पर अभी तक तालिबान का कब्‍जा नहीं हो पाया है। पंजशीर घाटी में अहमद मसूद के सैनिकों तालिबान को धूल चटाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। यही नहीं इन लड़ाकुओं को ट्रेनिंग का काम लगातार जारी है। अमेरिकी सेनाओं के वापस जाने के बाद तालिबान ने अपने आक्रामक अभियान को तेज कर दिया है। पंजशीर घाटी अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल से 150 किमी दूर है और यहां पर एक लाख लोग रहते हैं।
‘मैं अपने पिता के नक्‍शे कदम पर चलने को तैयार हूं’ : इस इलाके के नेताओं को अब तालिबानी आतंकी धमकाने में जुट गए हैं। इन नेताओं का कहना है कि पंजशीर घाटी में हजारों की तादाद में लड़ाके मौजूद हैं। इसमें अफगानिस्‍तान की सेना से निकले कमांडर भी शामिल हैं। तालिबानी आतंकियों ने रविवार को पंजशीर घाटी की टेलिफोन लाइन और इंटरनेट को काट दिया था। पंजशीर के नेता और अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने वॉशिंगटन पोस्‍ट में लिखे अपने लेख में पिछले दिनों कहा था, ‘मैं पंजशीर की घाटी से आज लिख रहा हूं और अपने पिता के नक्‍शे कदम पर चलने को तैयार हूं। मेरे साथ मुजाहिद्दीन लड़ाके हैं जो एक बार फिर से तालिबान के साथ संघर्ष के लिए तैयार हैं।’
पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया है तालिबान : अहमद मसूद ने लिखा, ‘हमने विस्‍फोटक पदार्थ और हथियार अपने पिता के समय से ही इकट्ठा करके रखे हैं क्‍योंकि हम जानते थे कि यह दिन आ सकता है।’ पंजशीर अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है, जिसपर आजतक तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है। 1996 से 2001 के इस्लामिक अमीरात के शासन के दौरान भी पंजशीर तालिबान के लिए एक नासूर बना रहा। तालिबान ने कहा था कि पंजशीर के स्थानीय राज्य के अधिकारियों ने इसे शांतिपूर्वक सौंपने से इनकार कर दिया, जिसके बाद से हमें अपने लड़ाके भेजने पड़े हैं।
उपराष्ट्रपति सालेह इसी इलाके में छिपे : अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह इसी इलाके में छिपे हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा भी था कि मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबान के आतंकवादियों के सामने नहीं झुकूंगा। मैं अपने नायक अहमद शाह मसूद, कमांडर, लीजेंड और गाइड की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा। मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा जिन्होंने मेरी बात सुनी। मैं तालिबान के साथ कभी भी एक छत के नीचे नहीं रहूंगा। कभी नहीं।

Related posts

बेंजामिन नेतन्याहू की बढ़ी मुश्किलें, भ्रष्टाचार के मामले में साथी ही बन गया सरकारी गवाह

Pradesh Samwad Team

कनाडा में इमरजेन्सी एक्ट लागू होने का असर, सीमा पर ट्रकों की हड़ताल समाप्त

Pradesh Samwad Team

जापान में Moderna COVID-10 वैक्सीन की शीशी से निकले काले-गुलाबी पार्टिकल, रुका वैक्सिनेशन

Pradesh Samwad Team