कश्मीर में करीब साढ़े तीन साल पहले अप्रैल 2018 में आतंकियों से लोहा लेते देश के जांबाज सपूत दीपक नैनवाल गंभीर रूप से घायल हो गए थे। करीब 40 दिनों तक अस्पताल में जूझने के बाद वे जिंदगी की जंग हार गए थे। उनका पार्थिव शरीर जब भारतीय तिरंगे में लिपटा देहरादून पहुंचा था और उनकी नन्हीं सी बच्ची आखिरी मुलाकात को पहुंची तो उसके रुदन ने हर किसी को भावुक कर दिया था। आज उस बच्ची के चेहरे की मुस्कान सच में सुकून देने वाली है।
शहीद नायक दीपक नैनवाल की पत्नी 33 वर्षीय ज्योति नैनवाल सेना में अधिकारी बन गई हैं। वे चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पास आउट हो गईं। इस मौके पर उनके दोनों बच्चे भी उनके साथ थे। उन दोनों के चेहरों पर प्यारी मुस्कान मां के पासआउट होने की खुशी की थी। वे दोनों भी अपनी मां के साथ सेना की वर्दी में नजर आ रहे थे। पति ने सेना में रहकर देश की सुरक्षा की जो शपथ ली थी, वही शपथ अब पत्नी भी लेती दिखीं। वहीं, बच्चों को भी सेना की वर्दी पहनाकर उन्होंने देश के दुश्मनों को संदेश दे दिया कि उनके मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने दिया जाएगा।
देहरादून के रहने वाले थे दीपक : देहरादून के हर्रावाला स्थित सिद्धपुरम के दीपक नैनवाल की नियुक्ति राष्ट्रीय राइफल्स में वर्ष 2001 में बतौर जवान हुई थी। शहादत से पहले वे करीब ढाई साल तक कश्मीर के अनंतनाग में पोस्टेड थे। आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान दीपक को दो गोलियां फेफड़े को चीरती हुई दिल के पास लगी थी। इसके बाद उनके शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। 40 दिनों तक पुणे के पैराप्लेजिक रिहैब सेंटर में उनका इलाज चला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
पत्नी ने सेना में जाने का लिया फैसला : पति की शहादत के बाद पत्नी ने सेना में जाने का फैसला लिया। दीपक नैनवाल को आखिरी विदाई देने जब वे बच्चों को लेकर पहुंची थीं, तो उनकी बेटी अपने पिता को इस हाल में देखकर फूट-फूटकर रोने लगी थी। बच्ची को ऐसे रोता देख उस समय वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गई थी। उनकी पत्नी का उस समय लिया गया फैसला अब साकार हो गया है। यह उनका जज्बा ही था, जो उन्हें इस मोड़ तक ले आया।