तालिबान विदेश मंत्रालय ने भारत की ओर से पिछले दिनों बुलाई गई कॉन्फ्रेंस का स्वागत किया है। एक बयान में कहा गया कि बैठक में उठाई गईं मांगों को काबुल की सरकार पहले ही पूरा कर चुकी है। दो दिन में ऐसा दूसरी बार हुआ जब तालिबान की ओर से दिल्ली में हुई कॉन्फ्रेंस पर प्रतिक्रिया आई। दोनों बार तालिबान ने अफगानिस्तान पर कॉन्फ्रेंस का स्वागत किया।
तालिबान क्यों कर रहा डिमांड्स पूरी करने का दावा? : तालिबान का ऐसा दावा करना कि उसने मांगों को पूरा कर दिया है, उसके पीछे उसकी अपनी चिंता है। अभी तक पाकिस्तान को छोड़कर, ज्यादातर देश तालिबान की सरकार से यही अपेक्षा रख रहे हैं कि वह ज्यादा सहिष्णु, समावेशी और नागरिकों की चिंताओं का ध्यान रखने को तैयार है।
दिल्ली में हुई कॉन्फ्रेंस की प्रमुख मांगों में यह सुनिश्चित करना कि अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद का निर्यात न होने पाए, एक थी। इसके अलावा वहां के लोगों के लिए मानवीय सहायता की पहुंच पर कोई रोक न लगे। धार्मिक आधार पर नई पाबंदियों और नुकसान की खबरों के बीच काबुल की नई सरकार का यह दावा हवा-हवाई मालूम होता है।
क्या आया है बयान? : तालिबान विदेश मंत्रालय के उप-प्रवक्ता इनामुल्लाह सामंगनी के हवाले से जारी बयान में कहा गया, ‘इस्लामिक अमीरात (तालिबान) भारत की बैठक का स्वागत करता है। हम शासन को लेकर ठोस कदम उठाने की कोशिश कर रहे हैं, और मुल्कों को अफगानिस्तान की जमीन का किसी के खिलाफ इस्तेमाल होने की चिंता नहीं करनी चाहिए।’
चीन, पाकिस्तान मीटिंग में नहीं आए : दिल्ली कॉन्फ्रेंस में रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन का आह्वान किया जो आतंकवाद का मुकाबला करेगी और अफगान जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ होने से रोकेगी। अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात को भारत सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था। चीन और पाकिस्तान ने भी इसमें भाग नहीं लिया।