जनरल बिपिन रावत भारत के पहले सीडीएस थे। एक बहादुर योद्धा के जाने से न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शोक की लहर दौड़ गई है। पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत भारतीय हस्तियों के साथ-साथ अन्य देश भी इस दुख की घड़ी में भारत के साथ हैं।
भारत के सीडीएस जनरल बिपिन रावत का बुधवार को एक हेलिकॉप्टर क्रैश में आकस्मिक निधन हो गया। भारतीय वायुसेना ने बताया कि सैन्य हेलिकॉप्टर में 14 लोग सवार थे जिनमें से 13 की मौत हो गई। जनरल रावत के उनकी पत्नी भी इस हादसे का शिकार हो गईं। वायुसेना ने इस हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। जनरल रावत का निधन ऐसे समय पर हुआ है जब भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा पर तनाव बना हुआ है। विशेषज्ञ इसे भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय मान रहे हैं।
रक्षा मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने कहा कि एक ऐसे समय पर जब चीन के साथ 20 महीने लंबे सीमा तनाव के चलते हिमालयी फ्रंट पर युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है, भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्य कर्मियों की एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में दुखद मौत का इससे बुरा समय नहीं हो सकता था। उन्होंने जनरल रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश की दुर्घटना से पिछले साल ताइवान के एक विमान हादसे को याद किया।
ताइवान सेना प्रमुख की भी हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत : चेलानी ने लिखा, ‘जनरल रावत की मौत 2020 की शुरुआत में हुई एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना के समान है, जिसमें ताइवान के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ जनरल की मौत हो गई थी। इसमें शेन यी-मिंग और दो प्रमुख जनरलों सहित सात अन्य शामिल थे। हर हेलिकॉप्टर क्रैश में पीआरसी की आक्रामकता के खिलाफ डिफेंस के एक प्रमुख व्यक्ति की मौत हो जाती है।’
विशेषज्ञ ने बाहरी संबंध से किया इनकार : उन्होंने कहा कि इस अजीब समानता का मतलब यह नहीं है कि दोनों हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं में कोई संबंध था या इसमें कोई बाहरी हाथ था। कुछ भी हो, प्रत्येक दुर्घटना ने महत्वपूर्ण आंतरिक प्रश्न उठाए हैं, विशेष रूप से शीर्ष जनरलों को ले जाने वाले सैन्य हेलिकॉप्टर के रखरखाव को लेकर। फिलहाल जनरल रावत के विमान हादसे के कारणों का पता नहीं चल पाया है और यह जांच का विषय है।