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November 24, 2024
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ऑस्ट्रेलिया : फ्रांस को देगा 4500 करोड़ रुपये का हर्जाना

ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ पनडुब्बियों की खरीद का समझौता तोड़ने के कारण मुआवजा देने पर हामी भर दी है। इस समझौते के एवज में ऑस्ट्रेलियाई सरकार फ्रांस की नेवल ग्रुप को 585 मिलियल डॉलर का हर्जाना देगी। ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल पनडुब्बियों के बेड़े के निर्माण के लिए फ्रांसीसी नेवल ग्रुप के साथ 90 अरब डॉलर का समझौता किया था। लेकिन, ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु पनडुब्बियों की लालच में अमेरिका और ब्रिटेन के साथ ऑकस समझौता कर लिया। इससे फ्रांस के साथ पनडुब्बियों की डील एकतरफा तरीके से टूट गई। इसे लेकर फ्रांस ने ऑस्ट्रेलिया से कड़ी नाराजगी भी जाहिर की थी।

ऑस्ट्रेलिया के नए पीएम ने क्या कहा : अब ऑस्ट्रेलिया के नए प्रधानमंत्री बने एंथनी अल्बनीस ने कहा कि फ्रांस के साथ समझौता निष्पक्ष और न्यायसंगत था। उन्होंने कहा कि वह बहुत स्पष्ट तनाव से घिरे रिश्ते को “रीसेट” करने के लिए जल्द ही फ्रांस की यात्रा करेंगे। अल्बानीस ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ बातचीत के बाद कहा कि हम ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के बीच एक बेहतर संबंध फिर से स्थापित कर रहे हैं। मैं जल्द से जल्द पेरिस जाने के लिए राष्ट्रपति मैक्रोन के निमंत्रण को स्वीकारने का उत्सुक हूं।
क्या है ऑकस समझौता : ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक सुरक्षा समझौता है। इसके तहत तीनों देश आपस में अधिक क्लासिफाइड खुफिया जानकारी को भी साझा कर सकेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समझौते के तहत अमेरिका ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों के निर्माण के लिए गुप्त तकनीक प्रदान करेगा। इससे दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया की नौसैनिक ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा।

परमाणु पनडुब्बी क्या है? : जब वैज्ञानिकों ने परमाणु को विभाजित किया तब उन्हें यह महसूस हुआ कि हम इसका बम बनाने के अलावा भी किसी काम में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका उपयोग बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता था। ये परमाणु रिएक्टर पिछले 70 वर्षों से दुनिया भर के घरों और उद्योगों को बिजली दे रहे हैं। परमाणु पनडुब्बियां भी इसी समान तकनीक से काम करती हैं। प्रत्येक परमाणु पनडुब्बी में एक छोटा न्यूक्लियर रिएक्टर होता है। जिसमें ईंधन के रूप में अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम का उपयोग करते हुए बिजली पैदा की जाती है। इससे पूरी पनडुब्बी को पावर की सप्लाई की जाती है।

परमाणु पनडुब्बी, डीजल इलेक्ट्रिक से कैसे अलग? : एक पारंपरिक पनडुब्बी या डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी बैटरी चार्ज करने के लिए डीजल जनरेटर का उपयोग करती है। इस बैटरी में स्टोर हुई बिजली का का उपयोग मोटर चलाने के लिए किया जाता है। किसी दूसरी बैटरी की तरह इसे रीचार्ज करने के लिए स्नॉर्कलिंग प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पनडुब्बियों को सतह पर आना पड़ता है। कोई भी पनडुब्बी सबसे अधिक खतरे में तब होती है, जब उसे पानी की गहराई से निकलकर सतह पर आना होता है। ऐसे में दुश्मन देश के पनडुब्बी खोजी विमान या युद्धपोत उन्हें आसानी से देख सकते हैं।

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